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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर १७ तिर्यच गति -- - -- - ---- गम में * गुमा मे रे मृगग में भीग में १० मेनक. १ का भंगार के म नक के भंग १. मे १७नक ::::-11-3५.३% के १० मे १७ तक के के भंगों में से ५१ के भंग में ने मिथ्यात्व ५ : को नं. के भंगों में भंग ऊपर के ले मिध्या- भंग की. नं०१८ । कोई भंग पटाकर ५ का भेग जानना के समान जानना , कोई ? भंग न गूग. १७-24-38 के ममान जानना जानना रे ४थे गंगा में अरे ये गुगा. में १ मे १६ नक ८०-४: के होक भंग में ! ४२ का भंग ऊरने ४६ के मे १६ नक के के भंगों में में से मिपान ५ घटाकर भर में अनन्नानबंधी कपाय |भग को नं. १८ कोई ? भंग १०.३.२४-31-2के. ४ पाकर ४२ का भर जानना के समान जानना जानना भंग जनना ने गाल में । ५वे गुग्ग में ये नक ३६ का भंग- पब ३७ का भंग ऊपर के ४२ के १४ नक के के भंगों के मन में में वरन भंग में से यप्रत्यग्न्यान कषाय भंग को० नं०१८ को भंग ग ४ गर्गपोग 6, । वहिगाये पाकर। के गमान जानना जाननाची कारणेग ? ये । ना भंग पनाम मे श्री 10) भोग भूमि में मिश्रकाय योग । काममा १२ गुमा में ' ले गुगाम "म नर काय योग १ प नोट | ५.७ का भंग कार के नक के के भंगों में ग वर का और जानना ! कर्म भूमि ५१ के भंग में में : भंग की नं.१ को भग . गण. गरी नी होना नमक वेद पटाकर ५० के ममान जानना नना भोग में बाभग जानना ले गम में ले गुगण में । ११ मे १८नक रे गुण, म १० में ग अंग सपा के ११ से ना के. के भंग में में ४५ का भंग ऊपर के मे नक के के रंगों में गड़ की भूमि के भंग भंग को.नं कोर्ट मंग * भूमि में ८ के मंग में म भंग को नं.८ कोई भग में नाम के ममान जानना जानना नामक वे पटाफर ४५ + मान जानना जन्मनः पटाकर का भर का भंग जानना । म म मुग्ण में । १. मं तक नरेगा में रे गुग में मेक 1 काम 2 0१७ तक के के भंगों में ये न क के के मनीमम भमिक भभ भंग को 10- कोई भंग में भूमि के के भग में गे भंग नं.१ कोई भंग में गं न वद म मान जानन | जानना । गमक वेद १ कर देखो अानना पटाकर का मंच का भंग जानना जाना 1म
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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