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________________ चौबीस स्थान दर्शन कोष्टर ने तियंच गति का भम प्रसा -5-5-1.के भगों में से कोई मनांबल, वचनबत, वासीगनन्द्रिय जीवा म एक मनो- भंगा में में कोई : भंग जानना | बाम, ये पारण पटाकर बल प्रागा पटाका १ का भंग भंग जानना : का भग जानना जानना का भंग असंगी। का भंग गिन्द्रिय पचन्द्रिय जीवा में ऊपर के जीवा में मनीबन पौर कग मा चन्मिय क के भंग न्द्रिय प्राण य२ घटाकर के मजिब जानना का भंग जानना 3 का भंग चक्षुरिन्द्रिय काभग श्रीन्द्रिय जावा में ऊपर केके भग जोवा में मकान, कर्णेन्द्रिर : |ग में कॉन्दिय प्रामा १ पटाकर : मोर झुरिन्द्रिय ये ३ प्राग' का भंग जानना घटाकर का भंग | ५ का भग वीन्द्रिय जारी का भग द्विन्द्रिय में ऊपर के : भग में स जीवों में मनोबल, कान्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय प्राग १ घटाघर वक्षु, वाणेन्द्रिय प्रागा । ५ का भग छट.कर का भग जानना का भग हिन्द्रिय जीवां का भंग :न्द्रिय म अपर के ५के भग म ग जीवों में पायू प्रामा, काय प्रारम्ट्रिय प्राम्ग १ घटाकर बल, श्वासोच्छवास, स्पर्श का भंग इन्द्रिय प्रागण 2४ प्राण ३ का भंग एकन्द्रिय आवा (२) योग भूमि में में ऊपर के ४ क भंग गम र म गण मे म मुग्ग में हरेक रसनन्द्रिय पान १ घटाकर १० का भंग गंज्ञा पंचेन्द्रिय में१० का भंग । हग्न में १० शेष ३ अथांत आयु प्राण. . वोचों में मामान्वबन जानना जानना का भग जानना कार्यबल प्राग, स्पगंन्द्रिय । य३ प्राग जानना 'सूचना-लदम्य पर्याय निवन अमंत्रीपचेन्द्रिव अपर्यात के सब! अवस्था हो है, परन्तु तीराजा स्थान में मंशी अर्मनी दोनों अवस्थाएं जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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