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________________ कोष्टक २०१७ चौतीस स्थान दर्शन ० स्थान सामान्य पालाप| पर्याप्त तिथंच गति में अपर्याप्त 11 जीव के नाना । एक जीव के नाना जीवों की अपेक्षा समय में । एक समय में । एक जीब के नाना एक जीव के एक समय में समय में नाना जोव को क्षा १ गुण स्थान ५, । सारे गुणः | १ गुण सारे गुण स्थान | १ गुण. मिथ्यात्व, सासादन, : (१) कर्म भूमि में १ से ५ तक से ४ गुण जानना १से ५ में से | (१) कर्म भूमि में ले | १ने रे गुण. १-२ में से कोई मित्र, अविरत देश के गुण स्थान जानना १ गुण. संयत ये (५) (२) भोग भूमि में १ ४ तक से ४ गुण जानना १से ४ में से | (२) भूमि भूमि में १-२-४ गुण. १-२-४ में से के मुगण स्थान कोई १ गुण | १-२-४ गुण जानना जानना कोई १ गुण २जीव समास १४ | ७ पर्याप्त अवस्था १ समास १ समास ७ अपर्याप्त अवस्था १ समास १समास को००१ देखो ७-१-१ के भंग ७-६-१ में भंग । (१) कर्म भूमि में (१) कर्म भूमि में पहले गुमा में पहले गुण में |७ में से कोई पहले गुण में १ले गुण में ।७ में से कोई ७ जीव समास पर्याप्त |७ में से कोई १ | समास जानना ७जीव समास अपर्याप्त ७ में से कोई११ समास अवस्था जानना | समास जानना मनस्या जानना | समास जानना . जानना २२ से ५ तक के गुण में २रे से ६ गुण में मंत्री पं०पर्याप्त २रे गुण में | २रे गए. में में से कोई १ संजी पं० पर्याप्त जानना मंजी १० पर्याप्त जानना ६ जीव समास अपर्याप्त । ६ में से कोई१ १ समास (१) भोग भूमि में से ४ गुण में १ संजीप० पर्याप्त अवस्था एकेन्द्रिय सूक्ष्म समास जानना जानना '१ से ४ गुग में १ संज्ञो पं० पर्यास जानना अपति घटाकर दोष नहीं १संजी पं० पर्याप्त जानना जानना समास जानना (२) भोग भूमि में १-२-४ गुरण में संजी पं० पर्याप्त १ मंत्री पं० अए १ संज्ञी पं० अपर्याप्त जानना जानना यति जानना ३पर्याप्ति १ भंग १ मंग १ भंग १ मंग को नं०१देखो -५-४.६ के भंग मन-माया-उवासो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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