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१
चौतीस स्थान दर्शन
२
२० का भंग उपगम क्षायिक सम्यचस्व २, ज्ञान ३, दर्शन ३, विव क्षयोपशमसम्यक्त्व, नरक गति १, कमान ४. नपुंसक लिंग २. अशुभ श्या ३, असंयम १ अज्ञान १, अनिल १, जीवब १, भव्यत्व १२८ का भंग जानना
२ नरक में उये तक के नरक में
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२ का मंग
ऊपर के २८ के भंग में ग क्षायिक मम्म
१, घटाकर २७ का मंग जानना
(
८६ व '
कोष्टक नं० १६
५
को० नं० १८ देखी को० नं० १८ देखो,
15
नरक गति में