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________________ ! ४ प्राण १० को० नं० १ देखो ५. संज्ञा चौंतीस स्थान दर्शन I ६ गति को० नं० १ देखो २ १ नरकगति ७ इन्द्रिय जाति पंचेन्द्रिय जाति ८ काय जसकाय १ यसकाय १० १ से ४ गु० में १० के भंग सामान्यवत् जानमा १ से ४ गुगा में ४ का भग सामान्यवद जानना १ १ से ४ गुग्गु० १ नरक गति जानना १ १ से ४ गु० में १ पंचेन्द्रिय (संजी) जाति १ से ४ गुण० में १ सकाय जानता ( } कोष्टक नं० १६ Y भंग १० का भंग १ भग ४ का भंग १ १ नरक गति १ मंग १ का भंग १ xसकाय १ भंग ४ का मंग १ नरक गति ७ मनोबल, वचनबल श्वास पेटकर (७) १ले अचे ! मं । ७ का भग आयु प्राण कायवल प्रारण १ इन्द्रिय प्रारण ४, ये प्राण जानना १ श्रसकाय कुराक ४ १४ गुगा० में ४ का भाग पर्याप्तवत जानना १ १ संज्ञी पं० जाति संज्ञी पं० जाति १ले ४थे गुर 2 १ ले ४ गुण ० १ नरक गति जानना | सूचना - १ले गुणस्थान में भरने वाला जीव सात ही (१ से ७ नरक) नरकों | में जन्म ले सकता है। परन्तु वे गुणस्थान में मरने वाला जीव १ले नरक में ही जन्म ले सकता है। १ में १ मंत्री पं० जाति जानना ! १ १ले थे गुण० में १ जसकाय जानना 19 नरक गति में १ भंग STT HOT १ मंग ४ का भंग नरक गति १ मंत्री पं० जाति त्रसकाय १ मंग ७ का मंग १ भंग ४ का मंग १ नरक गति संक्षी पं० जानि १ त्रसफाय
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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