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________________ चौबीस स्थान दर्शन It ) कोष्टक नं. १३ । ५ । सयोग केवली गुण स्थान में यांग जानना ११ कराय १२ जान १: मंगम १४ दर्शन १५ श्या १६ भव्यत्व १७ सम्यक्त्य १८मी ११ आहारक भाहारक, प्रनाहारक (0) अपाद बेद (.) पकधाब कदल निजानन्द . पयाभ्यान जानना केवल दर्शन जानना !शुक्न नेप्या जानका १भव्यन्व १ गायिक सम्यक्त्व (१) भनुभय मंत्री गहारक जानना को नं. १- देखो । दोनों प्रवस्था अवस्था (:)ो. मित्रकाय योग में । प्राहारक और दोनों में से पाहारक अवस्था जानना अनाहारक कोई १ अवस्था (कामगा काय योग में की नं०१-देलो जानना । प्रनाहारक अवस्था जानना । को नं. १० को नं. १८ देखो दोनों युगपत जानना दोनों युगपत जानना | १ का भंग युगपत जानना युगपत जानना | यूपत्त ___ को नं०१८ देखो जानना २० उपयोग केवलज्ञानोपयोन १ केवल दर्शनोपयोग ये जानना २१ व्यान २ का भंग को नं० १८ के मुजिब जानना सारे मंग १ सूक्ष्म किया प्रतिपाति शुक्ल ध्यान जानना २२ यात्रव ऊपर के कगंक देखो योग स्थान के योग मानव जानना कार्माण का योग १ प्रो. पिथकाय योग ये २ घट कर ५ का भंग को नं०१८ के मुजिब जानना ५-३ के मंग को नं०१८ के मजिव सारे भंग सारे भंग । सारे भंग १-१के मंगो ५-३ के भंगों में से ५-3 के मों में क.माणिक का योग १ २-१ के अंगों में में से कोई १ काई । योग से कोई १ मोग सौमिप्रकाय योग से कोई बोन योगजानना ये २ योग जानता । जानना २-१के मंग को नं०१८ के ! जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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