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________________ सरि भूवलय सर्वाप सिद्धि संघ बैंगलोर-दिल्ली ... महदादि गान्गेय पूज्य ॥५६: महावीर नगुलशन ॥ महति महावीर नन्दि ॥५॥ इहलोकदादिय गिरिय ॥५६॥ सुहमांक गणितदबेट्ट ॥६॥ महसीदु महाव्रत भरत ॥६१॥ वहिसिदणुक्त नन्दि ॥६२॥ सहनेय गुरुगळ बेट्ट ।।६३॥ सहचर मूरारु पूरु १६४॥ महनीय गुरुगरण भरत ॥६५॥ महिय गारसरगरिगत ॥६६॥ गहन विद्ययेगळाळ गिरियु॥६॥ गहगहिसुव नगु भरित ॥६॥ अहमीन्द्र स्वर्गवी भरत ।।६९॥ इह कल्पवृक्षद भरत ॥७०॥ महिय कल्वप्पु कोवळला ॥७॥.... महवीर तलेकाच गंग ।।७२॥ महदादि शिवभद्र भरत ॥७३॥ महिमेय मंग भूबलय ॥७४।।। ए* छु कमल मुन्देछु कमल हिन्दे । सालु मूवत्रएरड अन्क ।। पाल * कूडिसल कालूनूरु । श्री लालित्यद कवल ॥७॥ क रुणेयन धवलवर्णन पादळिह। परमात्म पादव य* दे ॥ तिरविहनाल्कंकवेरसिप्तिम्हद मुख । भरतखंडद शुभ चिन्हे ७६ क विदिह मुरुगपक्षि मानव वर्गव । अवधरिसुत शान्तद श्री । अवतारवो इदु धोरश्री एन्वेम्बा सुविवेकि भरत चक्ररांक।७७॥ यो र जिनेन्दरन बाहनवी सिम्ह । मूरने पडिहारबदु ।। सार श् री* वीरश्री सारस्वत धीर । रारयकेयदनद सिम्ह ॥ ll स* मचतुरस्र सम्स्थान सम्हननद । विमल वयभवविह कु* न्द।। श्रमहरबरगद धवल मंगल भद्र । गमकदशिव मुद्रे सिम्ह ।।७।। क्रमवन्क वेरडन्क सिम्ह ॥८॥ अमलात्म हर शम्भु सिमह ।।१॥ नमि से सौभाग्यद सिमह ॥८२॥ समवसरण्दन सिमह ॥३॥ क्रम नाल्कुचरण एन्टक ८४॥ गमक केसर सिह नाल्कु ।।८॥ विमल सिमहद प्रतिहार्य ।।६॥ सम विषमान्कदे शून्य ॥७॥ गमक लक्षणद अहिम्से ।।८८॥ श्रम हर पाहुड ग्रन्य ॥६॥ समद नाल्मोगदादि सिमह ॥१०॥ क्रमद महाव्रत सिमह ॥६... क्रम सिमहकोडित तपन ॥१२॥ श्रमहर गजवन क्रीडे ॥६३॥ नमिसिदरगणुव्रत शुद्धि ॥६४॥ शरमद महावत शुद्धि ॥६५॥ विमलान्क काव्य भूधलय ॥६६॥ ल क्षरण जारदे सिमहगळ् बाळुव । तक्षणवेने आगाग ॥ लक्षा न* क मोरिव वरुषगळेष्टन्क वीक्षितियोळगे वाळवुवु ॥७॥ * डिमेयायुविन श्री महावीर देव । नडिय सिम्हासनदल्लि ॥ ओ द* गिद सिम्हवायुपु हत्तु वरुषवु । विडदे समवसरणदलि ॥६॥ खा ति के यगर पाय जिनेन्द्र । ख्यातिय सिमहद अयु ॥ पूत कु* शल वर्षगळ अरवत् अोमबत्तु । नूतन मासगल एन्दु ॥६ ॥ पक्ष भदिह नेमि स्वामिय सिम्हदायुधु । शुभवर्ष एनरक्के न दे। शुभदऐवत्मारुदिन गळू कडिमेयु । बिभुविन सिम्ह बाबु।।१०० मक रळिशी नमि देवर सिमहदायुवु । एरडूवरे साथिरके ।। बर द प्रोमबत्तु वर्षगळनक कडिमेयु । सिरि सुव्रतर सिरहदायु ॥१०॥ परिदेळूबरे साविरतु ॥१०२।। सिरि मल्लि जिन सिमहदायु ।।१०३॥ बरे ऐनाल्केन्टसोन्ने सोन्ने ॥१०४॥ अरद्विसोन्ने नवेन्दउ नाल्कु ॥१०॥ सिरि कुन्यरळमूरेळ् मूर्नाल्कु ॥१०६॥ वरशान्तेरळ्नाल्नवेन्ट् नाल्कु ॥१०७॥ धर्म नबन्नाल्कु नाल्केरडु ।।१०।। धर्ममरंकवु बिडियारु ॥१०॥ सिरि अनन्तवेन्टोमवत्त ॥११०।। वरुष सुन्दे नव नाल्केळु ३११२॥ गुरु विमल वेळोमबत्तुगलु ।।११२॥ बरे नाल्कन् कनु नाल्कु ओम्दु ॥११३।। वर वासुपूज्यरय्दु नव ॥११४॥ बरे मूरु ऐदन्क वरुष ॥११॥ सिरि रेयान्सेन्टु नवगळ् ॥११६॥ बरे नाल्कन्कवु सोन्ने एरडुः ॥११७॥ सिरि शोतल पूर्व अंग ॥११८।। बरलोम्बत्तुगळयद् मूरेन्दु ॥११६॥ वर वेलु नवबु नाल्कुगळ ॥१२०॥ बरे मुन्दे मूरेन्दु वरुष ॥१२॥ गुरु पुष्पदन्तर पूर्व ।।१२२॥ धरुष प्रोम्बत्तुगळ् ऐदु ॥१२३॥ गुरु बवरन्क पूर्वान्ग ॥१२४॥ अरुह, प्रोमदे नव मूर मूरेन्टु ॥१२५॥ वरुषवार्नवनाळू मुटु ॥१२६॥ वर चन्द्रप्रभ रोम्बत्तुगळु ॥१२७॥ सरि पूर्वेगळू मन्दना ॥१२॥ सरि एल सिडियन्करवार ॥१२॥
SR No.090109
Book TitleSiri Bhuvalay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvalay Prakashan Samiti Delhi
PublisherBhuvalay Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Principle
File Size10 MB
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