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हे श्रावक ! सात व्यसन और आठ मद का त्याग करो । हृदय में करुणाभाव धारण करो। रत्नत्रय को हृदय में धारण करो अर्थात् रत्नत्रय का भावसहित निर्वाह कर जन्म-मरण से मुक्त हो।
भूधरदास भव्यजनों से कहते हैं कि अरे चेतन ! अब तो अपने को संभालो। प्रभु का नाम ही इस संसार समुद्र से तिराकर उद्धार करनेवाला है, उसको जपकर कर्म-जंजाल से मुक्त होवो।
भूधर भजन सौरभ