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संदृष्टि नं. 46 पृथ्वी, जल एवं वनस्पति कायिक भाव (24) पृथ्वी, जल, वनस्पति कायिक के 24 भाव होते हैं। जो इस प्रकार - कुशान 2, अचक्षु दर्शन, क्षायो. लब्धि 5, तिथंच गति, कषाय 4, नपुंसकलिंग, अशुभ लेश्या 3, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व पारिणामिक भाव 38 गुणस्थान मिथ्यात्व
और सासादन ये दो होते है। संदृष्टि इस प्रकार है - गुणस्थान भाव व्युच्छिति माव
अभाव
मिथ्यात्व 2 (मिथ्यात्व, | 24 (उपर्युक्त )
अभव्यत्व)
सासादन 2 (कुज्ञान 2) | 22 (उपर्युक्त 24 - 2 (मिथ्यात्व,
मिथ्यात्व, अमुल्यत्व) | अमन्यत्व)
संदृष्टि नं.47
अग्नि एवं वायु कायिक भाव (24) अग्नि एवं वायु कायिक के 24 भाव होते हैं जो इस प्रकार हैं - कुज्ञान 2; अचन दर्शन, क्षायो. लब्धि 5, तिथंचगति, कषाय 4, नपुंसक लिंग, अशुम लेश्या 3, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 31गुणस्थान एक मिथ्यात्व होता है। संदृष्टि इस प्रकार है -
गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति
भाव
भाव
अभाव
मिथ्यात्व 2 (मिथ्यात्य, 124 (उपर्युक्त)
अमष्यत्व)
(90)