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________________ ३०८ माव-सग्रह का वेतन दो सो पांच रुपया है। तीसरे महकमे में एक सो सत्तरि आचमी काम करते है इनमें से पहले आदमी का वेतन अस्सौ रुपया है फिर अ-गे एक एक रुपया बढ़ता गया है इसलिये एकमो सत्तरि आदमो का वेतन दो सो उनचास रुपया है। चाथे महकमे में एकमो चाहत्तर आदमी काम करते हैं। पहले आदमी का वेतन एकसो इकईस रुपया है तथा आगे आगे के आदमियों का वेतन एक एक रुपया बढ़ता गया है इसरियं एकसो चौहत्तरिवे आदमी का वेतन दोमो चौरानबे रुपया है । इसी ऋम से मोलहवे महकमे में दो गोद दे सदमी का नासो वारह रुपया है । इस उदाहरण मे पहले महकमे के उन्तालीस आदमियों का वेतन ऊपर के महकमें के किसी भी आदमो के वेतन से नहीं मिलता । तथा अन्त के सत्तावन आदमियों का वेतन नीचे के महकमें के किसी भी आदमी के वेतन से नहीं मिलता । शेष वेतन ऊपर नीचे के महकमों के वेतनों के साथ यथा संभव समान भी है । इसी प्रकार यथार्थ मे भी ऊपर के समय संबंधी परिणामों और नीचे के समय संबंधी परिणामों सदशता यथासंभब जानना । विशेष गोमट्टसार से जानना चाहिये । छठे गुणस्थान में तिरेसठ प्रकृतियों का बंध कहा था उनमें से अस्थिर अशुभ असाता, अयशस्कीति अरति शोक इन छह प्रजातियों को व्यच्छित्ति हो जाती है उनके घटाने से सत्तावन प्रकृति रही। उनमें आहारक शरीर और आहारक अंगोपांग के पिलाने से उनसठ प्रकृतियों का बंध होता है। गणस्थान मे इक्यासी प्रकृतियों का उदय कहा है उनम मे आहारवा शरोर आहारक आंगोपांग, निद्रा निद्रा प्रचला प्रचला, और स्त्यानगृद्धि इन पांच प्रकृतियों की व्युच्छित्ति हो जाती है । इसलिये इन पांच के घटाने से शर छिहत्त्वरि प्रकृतियों का उदय इस सातवे गुणस्थान मे रहता है । छठे गुणस्थान के समान इस गुणस्थान में भी एकसो छयालीस की सत्ता रहती है किन्तु क्षायिक सम्यग्दृष्टी के एक सो उन्तालीस प्रकृ. तियों का ही सत्त्व रहता है ।
SR No.090104
Book TitleBhav Sangrah
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorLalaram Shastri
PublisherHiralal Maneklal Gandhi Solapur
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size9 MB
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