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विषय
श्री श्लोक संख्या
६१४
६४९ ६५२
अप्रमत्त मुणस्थान का स्वरूप अपूर्वकरण गुणस्थान का स्वरूप अनिवृत्तिकरण गुणस्थान का स्वरूप सूक्ष्मसांपराय नाम के दशवें गुणस्थान का स्वरूप ग्यारहवें उपशान्त मोह् गुणस्थान का स्वरूप क्षीणमोह बारहवें गुणस्थान का स्वरूप सयोग केवली तेरहवें गुणस्थान का स्वरूप अयोग केवली चौदह गुणस्थान का स्वरूप श्री आचार्य द्वारा अन्तिम मंगल भावसंग्रह के पढ़ने का फल संक्षिप्त प्रशस्ति उपसहार तथा चौदह गुणस्थानों का स्वरूप परिशिष्ट टीकाकार का अन्तिम मंगलाचरण