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________________ टीकाकार का परिचय सुयोग्यता से किया था तथा अधार्मिक वातावरण को हटाते हुए धर्म का उद्योत किया है ! आपने पंचाध्यायी, पुरुषार्थसिध्युपाय तथा उत्तरार्ध राजवाति कालंकार की अत्यंत विस्तृत स्वतन्त्र टीका लिखी है जिनमे प्रत्येक पदार्थ का विवेचन बडी योग्यता और सरलता के साथ किया है । आपने भा० दि० जैन महासभाश्रित परीक्षालय के मंत्रिस्न का कार्य भी बड़ी योग्यता के साथ किया है। इस समय आपने श्री गो० दि० जैन सिद्धांत महाविद्यालय मोरेना का संचालन बहुत योग्यता और उत्तरादायित्व के साथ किया था । साथ में जैन धर्म के प्रौढ तत्त्वों को बतानेवाले तथा उनकी रक्षा करने वाले ॥ जैन दर्शन ' पाक्षिक पत्र का सपादन भी किया है । गवालियर स्टेट ने आपको प्रा० मॅजिस्ट्रेट भी बनाया था, आपको सेकन्ड क्लास पावर के अधिकार थे उस कार्य को आपने करीब २० वर्ष तक प्रभावक एवं न्यायरूप में किया, फल स्वरूप राज्य ने आपको पोशाक और प्रमाण पत्र भेंट किये। ६-वाबू श्रीलालजी जौहरी - आप इस समय करीब २५ वर्षों से जयपूर में जवाहरात का व्यापार करते है और सहकुटुम्ब वहीं पर रहते है । जवाहरात की पारख करने मे आपकी जैसी प्रसिद्धी है वैसे ही आप जवाहरात के व्यवसाय में भी एक प्रतिष्ठित प्रामाणिक जौहरी माने जाते हैं । विशेषता यह है कि सभी भाई और पूरा घराना ही दृढ धार्मिक है। इस ग्रथ के टीकाकार-श्रीमान् धर्मरत्न, सरस्वतीदिवाकर विद्व-- च्छिरोमणि, समाज मे प्रसिद्ध एवं संस्कृत निद्धांत के पूर्ण मर्मझ प्रभावक अनुभवी विद्वाम् श्रद्धेय पं० लालाराम जी शास्त्री महोदय है। ___ आपने अनेक गम्भीर महान ग्रंथों की बडे सरल रूप में हिन्दी टीकाएं की है। तथा ग्रंथों के मर्मस्थलों को बहुत ही उत्तमता के साथ स्पष्ट और विशद किया है। आपकी टीकाओं में ग्रंथ का कठीन भाग भी सरलता से समझाया गया है । आपकी बनाई हुई टीकाओं में खास
SR No.090104
Book TitleBhav Sangrah
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorLalaram Shastri
PublisherHiralal Maneklal Gandhi Solapur
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size9 MB
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