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नैमिश्वर हमको
सार पदकडी कछु कोठडी, मोटडी फूली फाये । सेस फूलन मूल न थापे, सिंघडलो सोहावेरे ।। ३८ ।। भूमकड झमके ते झांझ, जोता मनडु मोहे । वाक बोटी मिली अंगूठी नल पट टोली मोहेरे ।। ३६ ।। पकली पीला रत लिया मापसिया मचकाला। मोती केरो हार मनोहर भूमकडा लटका लारें ।। ४० ॥ राखडली रदियाली जालि जोता है? हरवी । स्त्रींटलाडी मोटल डीराली, खते, जोवा सरीखो रे ।। ४१ ।। हाथे चूडी रंगे रुडी, काकरण चांगण चोटा । बाहोडली सरीखा बेहरखड़ा, मलिया बलिया मोटा रे ।। ४२ ।। कर करि यालिका रेली रे, मोरली मोहन गारी। मारिणक मोती जडी मनोहर बेसरनी बलिहारी रे ।। ४३ ।। धम बम धम के घुघरडारे, बीछीमडा ते वाजे । रमझम रमझम झांझर झमके, का बीपल के राजे || ४४ ।। किसके पहेरा पीत पटोली नारी कुबर चीर । किसके पाछां छापल छाजे सालू पालव हीर रे ॥ ४५ ॥ किसके अमरी रंग सुरंगी किसके नीला कमषा । किसके धुनडियाला चमके किसके राता सरिषा रे ।। ४६ ।। किसके पहिरण जाद रचायो किस के चोली चटकी। किसकी अतलस उधी उपे, रंग तो ते कटको रे ॥ ४५ ॥ किसकी चरणा धरियाला, किसका वे' वषीयाला । किसका कमल बना कनियाला, किसका ते मतियाला रे ॥ ४ ॥ मयगल जिम मलयती वाले, कोयल सादें गाये।
धबल मंगल दीये मनरंगे, मुनि जनवि चलावे रे ।। ४६ ।। बारत का प्रस्थान
हरवर गयवर रथ सिणगार्या, पायक दस नहीं पार । बाकी वहेले हरि जोतरिया, चंग तरणो झरणकार रे ।। ५० ।। पालखड़ी चकडोल' सूखामण बेक्षा भोग पुरन्दुर । चाली जाँन कर्यो आइबर, मलिया सुरनर किन्नर रे ॥ ५१ ।। समुद्रविजय सिब देवी राणी, हरि हलधर सह मोहे। नेमिकमर ने परणादानां भरिया ते उग्राले रे ॥ ५२ ।।