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भरतेश वैभव
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आकाश मार्गपर उड़ गये 1 इन स्वामिद्रोहियोंको पकड़ो! मारो! छोड़ो मत ! इत्यादि शब्दोंको उच्चारण करते हुए उन देवोंका पीछा किया। देवोंने पानी बरसाना बंदकर युद्ध के लिये प्रारम्भ किया । उस में भी विद्याधरोंने उनको परास्त किया तो वे अग्निकी वर्षा करने लगे । विद्याधरोंने अग्निस्तंभविद्यासे उसको रोका। इस प्रकार ब्यंतरों ने अनेक प्रकारसे उनको पराजित किया तो वे देव एक तरफ जाकर अपने परिवारके साथ खड़े हो गये। इधर मागधामर आदि व्यंतर उनको दबाते ही जा रहे हैं । उधरसे जयकुमार पीछेसे उनको दबा रहा है । भरतेशके साथ द्रोह करना सामान्य काम नहीं है, व्यर्थ की उइंडता मत करो । इस प्रकार पहिलेसे कहनेपर इन लोगोंने नहीं माना, धमंडसे अनेक मायाकृत्योंको करने लगे। ३न स्वामिनोझिोंको यो मत : मारो, कूटो, पोटो इत्यादि शब्द कहते हुए उधरसे जयकुमार दबा रहे हैं । जयकुमारको देखते ही मागधामर आदि चक्रवर्तीके पुण्यकी सराहना करने लगे। ____ अब देवोंने देखा कि हम लोग इनसे बच नहीं सकते हैं । इसलिये किसी तरह जान बचाकर भागना चाहिये, इस विचारसे कौवे जिस प्रकार आकाशमें उड़ते हैं उड़कर जाने लगे। उस समय जयकुमारने उस कालमुख और मेघमुखको पकड़ने के लिए आदेश किया। परंतु दोनों डरके मारे भाग गये। कहीं इनके हाथमें आयेंगे इस भयसे हिमवान् पर्वतको उल्लंघन कर भागे और छिप गये।
अभीतक चिलातक राजा अपने कुलदेवोंके उपद्रवको देखते हुए बहुत ही प्रसन्न हो रहा था । परन्तु जब यह मालूम हुआ कि वे कुलदेव अब भयभीत होकर भाग गये हैं तो उसको भी भय मालम हुआ, वह अब अपनी जान बचानेके लिए किसी गुप्त स्थानमें जाकर छिप गया। परन्तु आवर्तक तो यह सोच रहा था कि बरसात बंद हुई तो क्या हुआ? हमारे कुलदेव अभी युद्ध करके शत्रुओंको भगायेंगे। इस विचारसे वह बराबर उस ओर देख ही रहा था इतनेमें जयकुमार आदिने आकर उसे घेर लिया। चिलातक राजा यद्यपि जाकर जंगल में छिप गया था, उसे व्यंतरगण जान सकते थे। तथापि डरके मारे छिपे हुएको पकड़ना उचित नहीं है। उसे जाने दो। उसकी खबर कल लेंगे। इस प्रकार कहकर आवर्तक राजाको पकड़कर ले गये । उस युद्धमें लड़नेवाले भूत अनेक यहाँपर थे। परन्तु जयकुमार केवल आवर्तक राजाके ही दोनों