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________________ बेलगांव | 33 से लगभग एक कि० मी० की दूरी पर और बस स्टैण्ड के पास (लगभग इतनी ही दूरी पर) स्थित है। स्वर्गीय सेठ माणिकचन्द्र द्वारा चार एकड़ जमीन खरीदकर दान की गई थी, इसी कारण यह स्थान माणिकबाग कहलाता है। इस बोडिंग हाउस में लगभग तीन सौ छात्र रहते हैं। इसका प्रबन्ध एक समिति करती है। इसका अहाता बड़ा है। बोर्डिंग हाउस में एक छोटा किन्तु सुन्दर मन्दिर है जिसके मूलनायक चन्द्रप्रभ हैं। यह मूर्ति संगमरमर की है। इसमें कांस्य की चौबीसी, नवदेवता, पंचपरमेष्ठी, ज्वालामालिनी और पद्मावती तथा नन्दीश्वर भी हैं । मन्दिर के पीछे दो-तीन कमरों का अतिथि-गृह है जिसमें अनुमति मिलने पर ठहरने दिया जाता है। ये कमरे फनिश्ड नहीं हैं । बोडिंग में एक भोजनालय है जिसे एक जैन परिवार चलाता है । यात्री वहाँ शुद्ध भोजन पा सकते हैं। शहर में भी एक धर्मशाला का निर्माण हो रहा है। यदि यात्री-बस या कार में खराबी हो जाए तो बोडिंग हाउस के सामने ही मूल रूप से गुजराती जैन परवार की एक बड़ी वर्कशाप है जो एक फैक्टरी लगती है और उसमें 50-60 गाड़ियाँ हमेशा मरम्मत के लिए खड़ी रहती हैं। शहर के अन्य मुख्य मन्दिरों का संक्षिप्त परिचय (अतिशय, प्राचीनता आदि सहित) इस प्रकार है पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर--बोडिंग हाउस से पूना-बंगलोर रोड पर बस स्टैण्ड है। उसी के पास शेट्टी गली में यह पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर है। यह है तो प्राचीन मन्दिर ही, किन्तु 1958 में इसका जीर्णोद्धार हुआ है। यहाँ पद्मासन में पार्श्वनाथ की एक संगमरमर की मूर्ति है। कांस्य की एक चौबीसी और पीतल की नवदेवता की प्रतिमा भी है। पद्मावती देवी की एक मति अलग से है। मन्दिर के सिरदल पर पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा है, जिसके दोनों ओर एक-एक हाथी माला लिये हुए हैं। इसके प्रवेश-द्वार पर सुन्दर नक्काशी है । दरवाजे की देहलीज पर भी कमल का फूल अंकित है। . चिक्क बसदि-क़िले के थोरात गेट से फोर्ट रोड नामक सड़क से 'मठ गली' के लिए रास्ता जाता है। इस गली में जैनों की काफी अधिक संख्या है। यहाँ भी एक पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर है जो कि 'चिक्क बसदि' भी कहलाता है। यह मन्दिर भी प्राचीन है और इसका जीर्णोद्धार हआ है। मन्दिर के सामने एक बहुत प्राचीन मानस्तम्भ है। इस पर चारों ओर कायोत्सर्ग तीर्थंकर प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं । उसी के ऊपर चारों दिशाओं में सर्प का भी उत्कीर्णन है जो कि कुछ असामान्य जान पड़ता है। इस मन्दिर का शिखर छोटा और शंकु आकार का है। बेलगाँव में जब भी किसी मुनि का आगमन होता है तब उन्हें इसी मन्दिर के अहाते में ठहराया जाता है। यहीं मुनि-निवास है। वर्तमान में यहाँ यात्रियों को खुले बरामदे में ठहराया जाता है। विशिष्ट व्यक्तियों के लिए दो-तीन कमरे भी हैं। चिक्क बसदि में इस समय नवीन धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है। उसके हॉल में 500 तक यात्री ठहर सकेंगे ऐसी आशा है। कुछ कमरे भी बनाए जायेंगे। यहाँ पानी-बिजली चौबीसों घण्टे उपलब्ध है। यात्रियों को बर्तन भी मिल सकेंगे। धर्मशाला दो-मंज़िली होगी। विवाह आदि कार्यों के लिए यहाँ मंगल-मण्डप की भी व्यवस्था है। उसके ऊपर भी कमरों का निर्माण कार्य जारी है। इस प्रकार चिक्क बसदि की यह धर्मशाला यात्रियों के लिए ठहरने का
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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