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________________ 16 | भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) गुम्बद के अहाते में नक्कारखाने में स्थित है। इस भवन के बाद गोल गुम्बद है । संग्रहालय में सप्तफणयुक्त लगभग चार फुट ऊँची पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा है जिसमें कुण्डली कन्धों तक आई है (देखें चित्र क्रमांक 9) । लगभग साढ़े चार फुट ऊँची एक अन्य प्रतिमा के फण टूटे हुए हैं । ग्यारहवीं सदी की पाँच फुट ऊँची एक कायोत्सर्ग पार्श्वनाथ प्रतिमा पर केवल पाँच फण ही हैं। इसी सदी को एक ओर सप्तफगो पाँच फुट ऊँची पार्श्व प्रतिमा है। प्रदर्शन-पेटी (शो केस) में एक से डेढ़ फुट ऊँची तीन प्रतिमाएँ प्रदर्शित हैं । तीसरी वीथी में अनेक शिलालेख हैं । यह भी उल्लेखनीय है कि 'मल्लिनाथ पुराण' के रचयिता अभिनव पंप ने, यहाँ, इसी शहर में मल्लिनाथ-जिनालय का निर्माण कराया था। बाज़ार के पास ही एस. एस. रोड पर एक दर्शनीय स्वेताम्बर मन्दिर भी है। बीजापुर में लगभग 40 दिगम्बर जैन परिवार हैं। ठहरने के लिए कोई जैन धर्मशाला नहीं है। बीजापुर जैन साहित्य की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह नगर कन्नड़ के महाकवि पम्प की जन्मभूमि है जो कि अपनी 'पम्परामायण' और 'मल्लिनाथ पुराण' कृतियों के कारण जैन साहित्य एवं कन्नड़ भाषा में अमर हो गये हैं और आज भी जिनका नाम साहित्यिकों द्वारा बड़े आदर से लिया जाता है। लोग इन्हें 'अभिनव पम्प' कहते थे । वैसे उनका नाम नागचन्द्र था । इसी प्रकार उनकी रामायण का नाम 'रामचन्द्रचरितपुराण' है। बीजापुर से 25 कि. मी. की दूरी पर एक स्थान बाबानगर के नाम से बताया जाता है। बीजापुर से 20 कि.मी. की दूरी पर तिवकोटा है और वहाँ से 5 कि.मी. पर यह नगर है। लेखक को इस स्थान के एक वीरशैव भक्त ने बताया कि वहाँ एक ऐसी जैन मति है जिसे सई की नोक छुआ देने पर (पूजा के बाद) वह नोंक सोने की हो जाती थी। कालान्तर में उसका दुरुपयोग हआ और अतिशय बन्द हो गया। यहां का मन्दिर साधारण है। यहाँ हरे रंग के पाषाण की डेड फट ऊँची पार्श्वनाथ की एक आकर्षक प्रतिमा है। फाल्गन की अमावस्या को यहाँ रथोत्सव होता है। कहा जाता है कि उस दिन अभिषेक के लिए 24 मील दूर कृष्णा नदी से जल लाया जाता है। एक दर्शनीय स्थल राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बीजापुर की प्रसिद्धि वहाँ स्थित गोल गुम्बद के कारण है। रोम स्थित सेंट पीटर की गुम्बद (व्यास 45 मीटर) के बाद, जो कि विश्व की सबसे बड़ी गुम्बद है, यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गुम्बद है। इसका व्यास 40 मीटर है। इतने विशाल हॉल में ऊपर की छत को सहारा देने के लिए एक भी स्तम्भ नहीं है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ‘फुसफुसाहट गैलरी' (Whispering gallery) है। यह गैलरी फर्श से 109 फुट ऊँची है और दीवालों से 11 फुट आगे निकली हुई है। जब इस हॉल में आप प्रवेश करते हैं तो आपके पैरों की आवाज़ की ज़ोर की प्रतिध्वनि इस गैलरी में होती है । यहाँ हर समय इतनी भीड़ या अपनी आवाज़ की प्रतिध्वनि सुनने वालों की इतनी संख्या होती है कि आपको
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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