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________________ 306 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) पाषाण पर है जिसके अनुसार नागकुए को गुणसेन पण्डितदेव ने नकर यानी व्यापारी संघ के धर्म के रूप में खुदवाया। इसी प्रकार 1058 ई. के पार्श्व बसदि के तीन और लेखों में उल्लेख है कि (1) द्रविड़-गण, नन्दिसंघ, तथा इरुंगलान्वय के गुणसेन पण्डित की गृहस्थ शिष्या राजाधिराज कोंगाल्व की माता पोचब्बरसि ने पार्श्वनाथ बसदि बनवाई। (2) राजेन्द्र कोंगाल्व ने अपने पिता द्वारा निर्मित बसदि के लिए तीन गाँव दान दिए और इसी राजा की माता ने अपने गुरु गुणसेन पण्डित की प्रतिमा बनवाकर जलधारापूर्वक समर्पित की। (3) गुणसेन पण्डित को रहने के लिए राजेन्द्र कोंगाल्व ने दिया। इसी प्रकार चन्द्र बसदि में एक लेख कोंगाल्व सुगुणिदेवी द्वारा प्रतिमा स्थापित करने और गाँव दान देने का उल्लेख है। इन्हीं मन्दिरों के बीच के मन्दिर में एक शिला पड़ी है जिसके ऊपरी भाग पर महावीर स्वामी की मूर्ति उत्कीर्ण है। उपर्युक्त जिले का भी जैन दृष्टि से सम्पूर्ण सर्वेक्षण नहीं हुआ है तदपि वहाँ भी जैनधर्म की व्याप्ति के साक्ष्य तो उपलब्ध हैं ही।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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