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________________ मैसूर जिले के अन्य जैन स्थल / 301 किन्नरीपुर नामक गाँव दान में दिया गया था। इससे नित्यपूजा, मुनियों को अहारदान और शास्त्र-दान किया जाता था। मेलकोटे (Melkote) यह स्थान मैसूर से 54 कि. मी. की दूरी पर है। यहाँ एक गुफा-मन्दिर है (देख चित्र क्र. 111)। गुफा शिला के निचले भाग में है। सामने ही तीन बड़े-मोटे स्तम्भ हैं जो सम्भवतः गुफा के ऊपर की शिला को आधार प्रदान करते हैं। Hifaura (Saligram) मैसूर से यह स्थान लगभग 90 कि. मी. की दूरी पर है । यहाँ बारहवीं शताब्दी में होय्सल शासकों के युग में निर्मित 'अनन्तनाथ मन्दिर' है। ग्राम-निवासी इसे 'कोटे बसदि' कहते हैं। मलसंघ बलात्कार गण के माघनन्दि सिद्धान्तचक्रवर्ती के शिष्य शम्भुदेव की पत्नी बोम्मब्बा ने 'अनन्तनेमि उद्यापना' नामक व्रत के समय यहाँ अनन्तनाथ की मूर्ति स्थापित की थी। इसी स्थान पर एक और अनन्तनाथ मन्दिर है। ग्रामवासी इसे प्राचीन मन्दिर से भिन्न दिखाने के लिए इसे होस बसदि (नया मन्दिर) कहते हैं । इस नये मन्दिर का निर्माण सन् 1878 ई. में हुआ था। इसी गाँव में तीन और जिनमन्दिर हैं । ये पाँचों ही मन्दिर भव्य एवं दर्शनीय हैं । दीपावली के समय यहाँ प्रतिवर्ष तीर्थंकर पुष्पदन्त का पंचकल्याणक मनाया जाता है। इस उत्सव में आसपास के लोग भी सम्मिलित होते हैं । सरगूरु (sarguru) मैसूर से लगभग 100 कि. मी. की दूरी पर स्थित इस गाँव की दक्षिण दिशा में पंचबसदि नामक मन्दिर है। उसके शिलालेख से ज्ञात होता है कि सन् 1424 ई. में विजयनगर में जब बुक्कराय का शासन था तब उसके महामन्त्री 'अर्हन्नपादपद्माराधक' बैचय्या दण्डनाथ के अधीन होय्सल राज्याधिपति नागण्णा रहता था। उसके अधीन बयिनाडु मयनेहल्ली ग्राम का निवासी केम्पण्णा गौड था। ये पण्डितदेव के शिष्य थे। स्वर्ग-सुख की प्राप्ति के लिए इन्होंने श्रवणबेलगोल के गोमटेश्वर को 'अंगरंग भोग संरक्षणार्थ' बयिनाडु के बाग-बगीचे एवं भूमिदान कर उस गाँव का नाम 'गोमटपुर' रखा था किन्तु आज इस मन्दिर में कोई मूर्ति नहीं है। . उपर्युक्त गाँव में लगभग 75 वर्ष प्राचीन 'अनन्तनाथ स्वामी चैत्यालय' है। ग्रामीण जनता इसकी अच्छी तरह देख-भाल करती है। ..... यहाँ जैनों के लगभग 35 घर हैं।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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