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________________ 108 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) पर है । इसी सदी की एक पार्श्वनाथ प्रतिमा पर सात फणों की छाया है, छत्र एक ही है और मति मकर-तोरण से युक्त है। धरणेन्द्र एव पद्मावती भी प्रदर्शित हैं। बेलवत्ति (Belvetti) शिलालेख के अनुसार, यहाँ अनेक जैनाचार्य रहते थे और संवणूरु निवासी बम्मिशेट्टी ने शोभकृत संवत्सर में यहां 'ब्रह्म जिनालय' का निर्माण कराया था। afan farofa (Huvin Siggali) शिलालेखानुसार एक श्रावक ने यहाँ 1245 ई. में शान्तिनाथ जिनालय का निर्माण कराया था तथा पुलिगेरे के माण्डलिकों ने दान दिया था। Alfafata (Kaginile) चालुक्य राज प्रथम जगदेकमल्ल के शासनकाल में 1030 ई. में इस ग्राम के निवासी जिनधर्मभक्त कामदेव और उसके पुत्र ने यहाँ जैन मन्दिर बनवाया था। तत्कालीन श्री आयतवर्मा ने यहीं रहकर कन्नड़ में आचार्य समन्तभद्र के 'रत्नकरण्डश्रावकाचार' की टीका लिखी थी। गाँव के एक स्तम्भ पर खदे लेख से ज्ञात होता है कि दानविनोद वैरिनारायण लेंकमरसण्णा आदित्यवर्मा ने यहाँ 'काणूंगण मेषपाषाण गच्छ बसदि' और मानस्तम्भ का भी निर्माण कराया था। करगुदरि (Kargudari) ___ सन् 1149 में यहाँ महावड्डव्यवहारि कल्लिशेट्टि ने 'विजय पार्श्वनाथ' मन्दिर का निर्माण कराके बसदि को भूमिदान किया था। आचार्य नागचन्द्र भट्टारक उसकी देखभाल करते थे। Haifit (Matangi) एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि कलचुरि राजा बिज्जलदेव के शासनकाल में हानगल्लु के कलिदेव शेट्टि ने यहाँ एक चतुर्विंशति तीर्थंकर-मन्दिर का निर्माण 1265 ई. में कराके भट्टारक नागचन्द्र को कुछ दान के साथ सौंप दिया था। मुगद (Mugad) यहाँ की पार्श्वनाथ बसदि में अधिकांश प्रतिमाएँ ग्यारहवीं सदी की हैं। पार्श्वनाथ की पाँच फुट ऊँची कायोत्सर्ग मूर्ति पर सात फणों की छाया है और कीर्तिमुख है। उनके यक्ष धरणेन्द्र पर तीन फण अंकित हैं । पार्श्व की एक कांस्यमूर्ति क्षतिग्रस्त है । तेरहवीं सदी की एक चौबीसी के मूलनायक आदिनाथ हैं। तीर्थंकरों की पंक्तियों में सबसे ऊपर सुपार्श्वनाथ हैं जो कि पाँच फणों से युक्त हैं । पद्मावती की भी एक आकर्षक प्रतिमा है । देवी के केश लहराते हुए प्रदर्शित हैं
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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