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________________ 104 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) गदग (Gadag) यहाँ से भी 9वीं और 10वीं सदी की खण्डित तीर्थंकर मूर्तियाँ मिली हैं। उनमें से भगवान पार्श्वनाथ की एक मनोज प्रतिमा है। कलसापुर (Kalsapur) यहाँ भी एक ध्वस्त जैन बसदि है । यहाँ नौवीं शताब्दी की दस फुट ऊँची, कायोत्सर्ग मुद्रा में तीर्थंकर की एक बहुत ही सुन्दर मूर्ति है (देखें चित्र क्र. 39)। कुछ अन्य खण्डित तीर्थंकर मूर्तियाँ भी यहाँ से प्राप्त हुई हैं। मालसमुद्रम् (Malasamudram) , गदग तालुक के इस स्थान की पार्श्वनाथ बसदि में महावीर या नेमिनाथ की लगभग तीन फुट ऊँची प्रतिमा है। प्रतिमा का लेख मिटा हुआ है । आसन पर सिंह अंकित है, घुटनों के पास यक्ष-यक्षी हैं। मकर-तोरण के अतिरिक्त चँवरधारी भी कटिहस्तमुद्रा में हैं । समय 10वीं सदी। ग्यारहवीं सदी की पार्श्वनाथ और और सुपार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ भी यहाँ हैं। मूलगुन्द (Mulgund) गदग तालुक का यह स्थान दसवीं सदी में एक प्रमुख जैन केन्द्र था। यहाँ जो 'त्रिकूट बसदि' है, उसका निर्माण 902 ई. में हुआ था। यहाँ के शिलालेख से ज्ञात होता है कि जब मुसलमानों ने यहाँ की पार्श्व बसदि पर आक्रमण किया तब हनसोगे के ललितकीर्ति भट्टारक के शिष्य सहस्रकीर्ति ने उसकी रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। मुसलमानों द्वारा भग्न आदिनाथ की मूर्ति नागभप की पत्नी बनदाम्बिके ने 1672 में यहाँ स्थापित की थी। यहीं पर कवि नयसेन ने कन्नड़ में 'धर्मामृत' नामक जैन सिद्धान्त प्रतिपादक ग्रन्थ की रचना 1113 ई. में की थी (इसका हिन्दी अनुवाद भी हो चुका है)। उपर्युक्त मन्दिर विशाल रहा होगा। उसका जीर्णोद्धार किया गया है। किन्तु उसके गर्भगृह पर शिखर नहीं है । यहाँ तीस फुट ऊँची एक विशाल शिला पर उत्कीर्ण अधूरी और क्षतिग्रस्त तीर्थंकर प्रतिमा खड्गासन में है जो कि दसवीं शताब्दी की है। चौदहवीं सदी की एक चौबीसी (आठ फुट) यहाँ श्री कुलकर्णी के घर में है । उसके मूलनायक आदिनाथ हैं। मन्दिर के गर्भगृह के प्रवेशद्वार के सिरदल पर पद्मासन में तीर्थंकर प्रतिमा उत्कीर्ण है। उसके ऊपर भी तीर्थंकर की लघु प्रतिमाएँ हैं । बसदि का सामने का भाग भी ध्वस्त हो गया है। अदरगुंची (Adargunchi) यहाँ से भी दसवीं शताब्दी की महावीर स्वामी की एक प्रतिमा प्राप्त हुई है। अण्णिगेरी (Annigeri) हुबली के निकट के इस स्थान की प्रसिद्धि कन्नड़ महाकवि पम्प की माता का जन्म-स्थान
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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