SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 102 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थं (कर्नाटक) बंकापुर यह स्थान, धारवाड़ जिले में ही, लक्ष्मेश्वर से 36 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । यहाँ अब कोई जैन मन्दिर नहीं है किन्तु प्राचीन काल की इसको महत्ता जान लेना उपर्युक्त होगा । वर्तमान में, इस स्थान से दो तीर्थंकर मूर्तियाँ लेख सहित प्राप्त हुई हैं । जैन- पुराण का पाठक जिनसेनाचार्य द्वितीय के 'महापुराण' (संस्कृत) से भलीभाँति परिचित होगा। उनकी इस अनुपम एवं काव्यमयी कृति के बयालीस अध्यायों में भगवान ऋषभदेव का चरित्र वर्णित है । बयालीसवें अध्याय में चक्रवर्ती भरत अन्य राजाओं को राजनीति का उपदेश देते हैं । इस अध्याय के लेखन के बाद, महान् आचार्य जिनसेन स्वर्गवासी हो गए। यह विशालकाय भाग 'आदिपुराण' कहलाता है। उनके शेष कार्य को (अन्य 23 तीर्थंकरों का संक्षिप्त जीवनवृत्त लिखकर ) उनके शिष्य गुणभद्राचार्य ने पूरा किया। उनके द्वारा रचित भाग 'उत्तरपुराण' कहलाया । काल की गति कितनी विचित्र है कि जिनभक्त राष्ट्रकूट सम्राट अमोघवर्ष प्रथम ( 804 से 880 ई.) के जीवनकाल मान्यखेट में आचार्य जिनसेन ने जिस विशाल ग्रन्थ 'महापुराण' की रचना की थी, उसका अन्तिम भाग आचार्य गुणभद्र ने बंकापुर में अमोघवर्ष के बंकापुर स्थित जैनधर्मानुयायी सामंत वोर बंकेयरस के समय में पूर्ण हुआ । उसके बाद आचार्य गुणभद्र भी स्वर्गवासी हो गए, और बंकेयरस भी । किन्तु 898 ई. में आचार्य गुणभद्र के शिष्य लोकसेन ने इस अनुपम कृति का सार्वजनिक वाचन एवं पूजन बंकेयरस के के शासनकाल में किया । पुत्र लोकादित्य कार प्राचीन काल में एक प्रसिद्ध जैन केन्द्र था । बंकेयरस के नाम पर ही यह नगर बंकापुर कहलाया । बताया जाता है कि यहाँ के कुछ मन्दिर मस्जिद बना दिए गए। गजलक्ष्मी, मूर्तियों के लिए आले, पुष्पावलियुक्त 60 स्तम्भों वाली रंगस्वामी नगरेश्वर बसदि भी तो मस्जिद बन गई । बंकापुर से हनगल, संतेकोप एवं आतूर होते हुए सिरसी का मार्ग है। आतूर से जंगल का रास्ता भी पड़ता है । धारवाड़ जिले के अन्य जैन-स्थल धारवाड़ जिले में जैन धर्म का बहुत व्यापक प्रसार रहा है । इस जिले में लगभग तीस स्थानों पर जैन मन्दिर या जैन अवशेष हैं जिनमें से लक्कुण्डि, लक्ष्मेश्वर (पूर्व वर्णित ), अम्मिनआदि तो कला और इतिहास आदि की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं ही, निम्नलिखित स्थानों का भी अपना एक इतिहास है । शेन (Ron) यह स्थान बादामी से 32 कि. मी. की दूरी पर मुख्य सड़क पर स्थित है। यहाँ की पार्श्व
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy