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________________ 78 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) काली चट्टानें हैं, जंगल या जंगली जानवर नहीं है। नदी में, उसके किनारों पर, हेमकूट और मातंग पर पड़ी ये चट्टानें कहीं हाथी जैसी विशालकाय, तो कहीं भैंस जैसी, कहीं बिना सहारे या सीधी खड़ी हुई-सी जान पड़ती हैं। पर्यटक न चाहे तो मातंग पहाड़ पर न चढ़े हालांकि वहाँ से सूर्यास्त, सूर्योदय तथा हम्पी और आसपास के क्षेत्र का सुन्दर दृश्य दिखाई पड़ता है । चूंकि ये चट्टानें गरम हो जाती हैं इसलिए सुबह के समय इधर का पर्यटन ठीक रहता है । जैनेतर जनता का तीर्थ स्थान (पम्पा तीर्थ ) होने के कारण यह यात्रा पथ सूना नहीं रहता। कुल मिलाकर नदी, शिलाखण्डों, मन्दिरों का यह दृश्य बहुत दिनों तक पर्यटक के स्मृति पटल पर बना रहता है । मन्दिर क्षेत्र में कुछ भाग सड़क है और कुछ भाग पैदल यात्रा का है जो बहुत ही आनन्ददायी है । ( 2 ) दूसरा क्षेत्र - महल का क्षेत्र है । यह मैदानी भाग है । यहाँ महल, हस्तिशाला, सिंहासन टीला, खुदाई में प्राप्त जैन मन्दिर, भूमिगत मन्दिर और सड़क के किनारे गानिगित्ति जैन मन्दिर हैं । इस क्षेत्र में वाहन से भी यात्रा की जा सकती है । यदि पर्यटक इस क्षेत्र की यात्रा दो बार में दो दिन करे तो उसे अधिक आनन्द आएगा । एक दिन मन्दिर क्षेत्र की और दूसरे दिन महल क्षेत्र की । कुछ लोग एक ही दिन में और वह भी पैदल यात्रा कर डालते हैं, दर्शनीय स्थलों के पास से केवल गुजर जाते हैं और उनका इतनी दूर द्रव्य व्यय करके आना निष्फल जाता है । स्थानीय लोग या गाइड गानिगित्ति जैन मन्दिर क्षेत्र की ओर जाने से कतराते हैं । कह देते हैं कि 'उधर कुछ नहीं है । ऐसे लोगों की बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। यह अधिक अच्छा होगा कि यहाँ दिए गए क्रम यात्रा की जाए । - होसपेट से हम्पी के लिए दो मार्गों की सरकारी बसें चलती हैं । एक तो, कड्डीरामपुर होते हुए हम्पी जाती है और विरूपाक्ष मन्दिर के सामने के हम्पी बाज़ार समाप्त होती है । मन्दिर क्षेत्र के लिए कड्डीरामपुर होकर हम्पी जाने वाली बस लेनी चाहिए। दूसरी बस, कमलापुर होकर हम्पी, उसी स्थान पर, जाती है । यह महल क्षेत्र से कुछ दूरी से जाती है । जैनपर्यटक को परामर्श दिया जाता है कि वह महल क्षेत्र देखने के लिए कमलापुर या उससे आगे कम्पली की बस लें, कमलापुर के दूसरे स्टॉप पर उतरें, वहाँ से कम्पली (Kampli) सड़क पर एक-दो फर्लांग पैदल चलकर 'गानिगित्ति' जैन मन्दिर देखें, वापस उसी स्थान पर आ जाएँ वहीं भारतीय पुरातत्त्व विभाग का कार्यालय है और एक सड़क संग्रहालय ( museum ) के लिए मुड़ती है । वहाँ से लौटकर महल क्षेत्र देखें | सड़क पर लिखा है- हम्पी 4 कि. मी. । सब कुछ देखने के बाद कमलापुर से होसपेट की बस ली जा सकती है । कमलापुर एक गाँव है और होसपेट से 11-12 कि. मी. की दूरी पर है । मन्दिर एवं अन्य कलावशेष यात्रा क्रम : 1 हम्पी के अवशेषों के ऐतिहासिक वर्णन में ए. एच. लांगहर्स्ट की पुस्तक 'हम्पी इन रुइन्स' से सहायता ली गई है । (श्री लांगहर्स्ट भारतीय पुरातत्त्व विभाग के उस समय के दक्षिण मण्डल के अधीक्षक थे। उनकी यह पुस्तक 1925 ई. में प्रकाशित हुई थी । उनके मत यहाँ या तो उद्धृत किया गया है या उसका सारांश दिया गया है, किन्तु ऐसा करते समय
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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