________________
कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष अपने पूज्य ताऊ, पद्मभूषण, जैनरत्न, श्रावकशिरोमणि, श्री साहू श्रेयांसप्रसाद जी के मार्गदर्शन में अनेक बड़ी और महत्त्वपूर्ण योजनाओं को निश्चित करके उन्हें स्वयं अग्रसर करने में व्यस्त हो गये हैं। जिन योजनाओं को उन्होंने साहस के साथ तत्काल हाथ में लिया है, उनमें से मुख्य हैं : (1) लगभग सभी तीर्थों के विकास की योजनाओं का सम्पूर्ण परिदृश्य सामने रहे और अगले पाँच वर्षों में उन पर क्रमशः कार्यान्वय हो, (2) मध्यप्रदेश में बड़वानी या बाबनगजा जी में विश्व की सबसे ऊँची 84 फुट की भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को क्षरण और ध्वंस से बचाने की बारह लाख रुपये की योजना पर कार्य का शुभारम्भ । दो साल बाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विशाल महामस्तकाभिषेक का आयोजन, (3) भगवान महावीर की जन्मस्थली वैशाली (बिहार) में लगभग पन्द्रह लाख की लागत से भव्य स्मारक का निर्माण, (4) जरा-जीर्ण मन्दिरों और मूर्तियों का प्राथमिकता के आधार पर संरक्षण कार्यक्रम। (5) क्षेत्रों पर आवास, बिजली, पानी, यातायात, भोजनालय, आदि के योजना-बद्ध कार्यक्रमों की सम्पूर्ति, (6) देवगढ़, गोपाचल, शौरीपुर-बटेश्वर तथा दक्षिण के अनेक जैन क्षेत्रों के जीर्णोद्धार का कार्य, (7) सूचना-संग्रह, सर्वे और ऐतिहासिक सामग्री के संकलन का देशव्यापी कार्यक्रम, (8) समस्त भारत में तीर्थवन्दना रथ के प्रवर्तन द्वारा जैनधर्म की प्रभावना, धार्मिक श्रद्धा का संचार और तीर्थरक्षा के लिए एक राशि-संग्रह का उपक्रम आदि।
अभी तक प्रकाशित इन पाँच भागों के अगले संस्करणों के लिए भी कमेटी प्रयत्नशील है कि ये हर प्रकार से प्रामाणिक, निर्दोष और स्तरीय हों। पाठकों से अनुरोध है कि जहाँ जो कमियाँ नजर आयें या जो सुझाव उपयोगी लगें उन्हें अवश्य प्रेषित करें।
- भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, बम्बई, के महामन्त्री श्री जयचन्द लौहाड़े से और ज्ञानपीठ के सहकर्मियों से जो सहयोग प्राप्त हुआ उसके लिए आभार व्यक्त करना मेरा कर्तव्य है।
-लक्ष्मीचन्द्र जैन
अक्षय तृतीया 19 अप्रैल 1988