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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ओर चतुर्भुज यक्ष ( गोमुख ) और दूसरी ओर यक्षी (चक्रेश्वरी ) बनी हुई है। प्रतिष्ठाकारक झाँसीवाले श्री बुलाकीदास हैं। - एक अन्य वेदीमें नन्दीश्वर द्वीपकी रचना है। आकार १ फुट ८ इंच है। इसमें चारों ओर खड्गासन ५२ प्रतिमाएं बनी हुई हैं। यह रचना संवत् १२३६ की है।
इस मन्दिरके पीछे एक छतरीमें क्षेत्रपालकी खड़ी हुई मूर्ति विराजमान है, इससे कुछ आगे पेड़ोंके झुण्डमें एक चबूतरा बना हुआ है।
३५. आदिनाथ मन्दिर-भगवान् आदिनाथकी खड्गासन, चितकबरा वर्ण, साढ़े तीन फुटको अवगाहनावाली प्रतिमा विराजमान है । संवत् १६४० में प्रतिष्ठित है।
३६. अजितनाथ मन्दिर-भगवान् अजितनाथकी यह प्रतिमा पद्मासन, मटमैला वणं, १५ इंच आकारकी है। जैन पंचान रानीपुरने इसकी प्रतिष्ठा करायी। मन्दिरमें केवल गर्भगृह है।
३७. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी पद्मासन, श्वेतवणं, ११ इंच आकारकी यह प्रतिमा भट्टारक सुरेन्द्र भूषणजी द्वारा संवत् १८८४ में ब्रह्मचारी दौलतसागरजीकी ओरसे प्रतिष्ठित की गयी। मन्दिरमें केवल गर्भगृह है।
३८. आदिनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें तीन दरकी एक वेदीमें मूलनायक भगवान् आदिनाथकी प्रतिमा पद्मासन कृष्णवर्णकी विराजमान है। इसके दोनों ओर महावीर स्वामीकी खड्गासन २८ इंच अवगाहनावाली प्रतिमाएं विराजमान हैं । इसकी प्रतिष्ठा भट्टारक सतेन्द्रभूषणने संवत् ९९५० में जैन पंचान आगराको ओरसे की। मन्दिरमें अर्धमण्डप और गर्भगृह हैं।
३९. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी यह मूर्ति खड्गासन, कृष्णवर्ण है और इसकी अवगाहना सवा छह फुट है। मूर्तिके सिरपर छत्रत्रयी सुशोभित है। मध्यमें चमरेन्द्र खड़े हैं । अधोभागमें भगवान् नेमिनाथके यक्ष-यक्षी बने हुए हैं। दायीं ओर पुरुषारूढ़ गोमेध यक्ष हाथ ...जोड़े हुए हैं तथा बायीं ओर सिंहारूढ़ा अम्बिका है। मन्दिरमें चार स्तम्भोंपर आधारित मण्डपनुमा गर्भगृह बना हुआ है । उसके चारों ओर प्रदक्षिणा-पथ है।
इसकी प्रतिष्ठा श्री नाथूराम मैनपुरीवालोंने संवत् १९४० में करायी।
४०. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी यह प्रतिमा पद्मासन और कृष्णवर्णवाली है। इसकी अवगाहना २ फुट है। इसकी प्रतिष्ठा श्री नाथूराम मैनपुरीवालोंने करायी थी। मन्दिरमें अर्धमण्डप और गर्भगृह हैं ।
४१. चन्द्रप्रभ मन्दिर–चन्द्रप्रभकी प्रतिमा पद्मासन, श्वेतवर्ण, २२ इंच अवगाहनाकी है। इसकी प्रतिष्ठा डबरावाले श्री मोहनलाल मोदीने संवत् १९५५ में करायी। मन्दिरमें अर्धमण्डप और प्रदक्षिणा-पथ हैं।
४२. आदिनाथ मन्दिर-भगवान् आदिनाथकी मूर्ति खड्गासन, चितकबरे वर्ण और आठ फुट अवगाहनावाली है । इसके सिरके ऊपर छत्र, दोनों ओर छत्रके दण्डधर गज और हाथ जोड़े हुए भक्त तथा चरणोंके दोनों ओर चमरवाहक बने हुए हैं। इसका गर्भगृह चार स्तम्भोंपर आधारित है और उसके चारों ओर प्रदक्षिणा-पथ निर्मित हैं। प्रतिष्ठाकारक हैं सकल जैन पंचान वामौरा।
४३. नेमिनाथ मन्दिर-यह प्रतिमा खड्गासन है, वर्ण काला-भूरा है तथा अवगाहना ६ फुट है । सिरके ऊपर छत्र हैं। मूर्तिके दोनों ओर चमरेन्द्र खड़े हैं। नीचे यक्ष-यक्षी बने हुए हैं। इसकी प्रतिष्ठा झांसोवाले श्री बुलाकीदासने करायी थी। यह मन्दिर है, टोंकनुमा नहीं है।