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________________ ८ . भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ १९. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथ कायोत्सर्ग मुद्रामें ध्यानमग्न हैं, श्यामवर्ण हैं, अवगाहना सवा दो फुट है । बायों ओर गजारूढ़ यक्ष तथा दायीं ओर नृत्यमुद्रामें यक्षो खड़ी हुई है। लेख नहीं है । मन्दिरमें अर्धमण्डप और गर्भगृह बने हैं। २०. चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभ पद्मासन श्वेतवर्ण १६ इंच अवगाहनावाले वीर सं. २४७० में प्रतिष्ठित यहाँ विराजमान हैं। मन्दिरके तीन ओर बरामदे बने हुए हैं। भीतर आँगन और गर्भगृह हैं। २१. पार्श्वनाथ मन्दिर-भगवान् पार्श्वनाथकी प्रतिमा श्वेतवर्ण पद्मासन १५ इंच ऊंची विराजमान है। इस मन्दिरको प्रतिष्ठा सकल पंच घोंटाने संवत् १९२१ में करायी थी। मन्दिरमें गर्भगृह और अर्धमण्डप निर्मित हैं। २२. अरहनाथ मन्दिर-भगवान् अरहनाथकी यह खड्गासन प्रतिमा बादामी वर्णकी पौने पांच फुट अवगाहनावाली है। इनके केशवलय अद्भुत शैलीके बने हुए हैं, लगता है जैसे सिरपर सात वलयको पगड़ी लगी हुई हो। प्रतिमाके सिरके दोनों ओर गजलक्ष्मी हैं, सिरके ऊपर छत्रत्रय सुशोभित है। ऊपर कोनोंपर पुष्पमाल लिये हुए आकाशचारी देव हैं। प्रतिमाके चरणोंके दोनों ओर चमरवाहक खड़े हैं । मन्दिरमें गर्भगृह और अर्धमण्डल बने हुए हैं। - २३. सुपार्श्वनाथ मन्दिर-भगवान् सुपार्श्वनाथकी पद्मासन श्वेतवर्ण यह प्रतिमा १६ इंच अवगाहनाकी है। सिरपर नौ सपं-फणावली है तथा पीठासनपर स्वस्तिक लांछन बना हआ है। इसी लांछनके आधारपर इसे सुपार्श्वनाथकी प्रतिमा माना जाता है। स्वस्तिकका आकार बड़ा अद्भुत बना हुआ है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १८८४ में भट्टारक सुरेन्द्रभूषणजीने करायी थी। प्रतिष्ठाकारक थे श्री आछेलाल बल्देव भिण्डवाले।' इस मन्दिरके एक बरामदेमें पार्श्वनाथकी प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमाके सिरपर सप्त फणावली है। प्रतिमा श्वेतवर्ण पद्मासन १५ इंच अवगाहनावाली है और संवत् १९१० में इसकी प्रतिष्ठा हुई है। इस मन्दिरमें बरामदे, आंगन और खुला गर्भगृह हैं। २४. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी प्रतिमा श्यामवर्ण, खड्गासन और ४ फुट २ इंच आकारकी है। मूर्तिके सिरके ऊपर तीन छत्र तथा सिरके पीछे भामण्डल सुशोभित हैं। चमरेन्द्र के स्थानपर दोनों ओर दो करबद्ध भक्त खड़े हुए हैं। उनके मुकुट टोपीनुमा हैं, अतः बड़े अद्भुत प्रतीत होते हैं । इसकी प्रतिष्ठा वीर संवत् १९८६ में श्री सौभाग्यसिंह झिरिवालोंने करायी थी। मन्दिरमें गर्भगृह तथा प्रदक्षिणा-पथ बना हुआ है। २५. मल्लिनाथ मन्दिर-भगवान् मल्लिनाथकी प्रतिमा कृष्णवर्ण, पद्मासन डेढ़ फुट अवगाहनावाली है। इसकी प्रतिष्ठा सेठ फूलझारीलाल करहलवालोंमे संवत् १९२५ में करायी थी। इस मन्दिरमें गर्भगृह चार स्तम्भोंपर आधारित है तथा प्रदक्षिणा-पथ डबल बने हुए हैं। २६. नमिनाथ मन्दिर-यहाँ नमिनाथ भगवान्की श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । इसका आकार एक फुटका है। इसके पादपीठपर नील कमलका चिह्न अंकित है। अतः इसे नमिनाथकी मूर्ति माना जाता है। इसकी प्रतिष्ठा खिरकोवाले श्री दीनदयाल घमण्डीलालने करायी थी। इस मन्दिरमें गर्भालय और अधमण्डप बने हुए हैं। २७. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथको यह प्रतिमा कृष्ण पाषाणकी, पद्मासन और २१ इंच अवगाहनवाली है । मन्दिरमें केवल गर्भगृह और अर्घमण्डप बने हैं।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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