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प्राक्कथन
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अर्थात् हे देव ! स्तुति कर चुकनेपर मैं आपसे कोई वरदान नहीं माँगता । माँगूँ क्या, आप तो वीतराग हैं । और माँगूँ भी क्यों ? कोई समझदार व्यक्ति छायावाले पेड़ के नीचे बैठकर पेड़से छाया थोड़े ही माँगता है । वह तो स्वयं बिना माँगे ही मिल जाती है । ऐसे ही भगवान्की शरण में जाकर उनसे किसी जाती है । बाकी कामना क्या करना । वहाँ जाकर सभी कामनाओं की पूर्ति स्वतः
तीर्थ- ग्रन्थकी परिकल्पना
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी बम्बईकी बहुत समय से इच्छा और योजना थी कि समस्त दिगम्बर जैन तीर्थोंका प्रामाणिक परिचय एवं इतिहास तैयार कराया जाये । सन् १९५७-५८ में तीर्थक्षेत्र कमेटी के सहयोगसे मैंने लगभग पाँच सौ पृष्ठकी सामग्री तैयार भी की थी और समय-समयपर उसे तीर्थ क्षेत्र कमेटीके कार्यालय में भेजता भी रहता था । किन्तु उस समय उस सामग्रीका कुछ उपयोग नहीं हो सका ।
सन् १९७० में भगवान् महावीरके २५००वें निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में भारतवर्ष के सम्पूर्ण दिगम्बर जैन तीर्थोके इतिहास, परम्परा और परिचय सम्बन्धी ग्रन्थके निर्माणका पुनः निश्चय किया गया । यह भी निर्णय हुआ कि यह ग्रन्थ भारतीय ज्ञानपीठके तत्वावधान में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी बम्बईकी ओरसे प्रकाशित किया जाये । भगवान् महावीरके २५०० वें निर्वाण महोत्सवकी अखिल भारतीय दिमम्बर जैन समिति के मान्य अध्यक्ष श्रीमान् साहू शान्तिप्रसादजीने, जो तीर्थक्षेत्र कमेटी के भी तत्कालीन अध्यक्ष थे, मुझे इस ग्रन्थके लेखन कार्यका दायित्व लेनेके लिए प्रेरित किया और मैंने भी उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया ।
प्रस्तुत भाग २ की संयोजना
'भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ' भाग १ में उत्तरप्रदेश और दिल्ली के तीर्थक्षेत्रों का विवरण दिया गया है । उसका प्रकाशन महावीर निर्वाण दिवस १३ नवम्बर १९७४ को हो चुका है। इसमें प्रायः २८० पृष्ठोंकी सामग्री के अतिरिक्त ८४ चित्र और ७ मानचित्र दिये गये हैं । उत्तरप्रदेश के सभी तीर्थों को ६ जनपदों में विभाजित किया गया है - ( १ ) कुरुजांगल और शूरसेन, वत्स, (५) कोशल और (६) चेदि । इन छह जनपदों के
(२) उत्तराखण्ड, (३) पंचाल, (४) काशी और मानचित्रोंके साथ एक मानचित्र सम्पूर्ण उत्तरप्रदेश
तीर्थोंका दिया गया है । ये मानचित्र भारत सरकारके मानचित्र सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रमाणित और स्वीकृत करा लिये गये हैं । इसलिए इनकी प्रामाणिकता असन्दिग्ध है । इस ग्रन्थके अन्त में यात्रियोंकी सुविधा - के लिए उत्तरप्रदेश के सम्पूर्ण तीर्थोंका संक्षिप्त विवरण और यात्रा मार्ग दिया गया है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ तीर्थ - ग्रन्थमालाका द्वितीय भाग है । इस भागमें बिहार, बंगाल और उड़ीसाके तीर्थक्षेत्रोंका विवरण है । इस भागकी रूपरेखा और तदनुसार सामग्रीका संयोजन इस प्रकार किया गया है
(अ) बिहार-बंगाल - उड़ीसाको सुविधाके लिए निम्नलिखित जनपदों में विभाजित किया गया है :
( 2 ) वज्जि - विदेह जनपद
(२) अंग जनपद
(३) मगध जनपद
(४) भंगि जनपद
(५) बंग जनपद (६) कलिंग जनपद