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मार्ग
अयोध्या
अयोध्या पूर्वी उत्तरप्रदेश में फैजाबाद जिलेमें एक प्राचीन नगरी है । यह सड़क मार्ग से लखनऊसे १३९ कि. मी., वाराणसीसे १९२ कि. मी., इलाहाबादसे १६० कि. मी. और फैजाबादसे ५ कि. मी., है । दिल्ली - स्यालदा मेन लाइनपर अयोध्या उत्तर रेलवेका स्टेशन है। मुगलसराय, वाराणसी और लखनऊसे यहाँ सीधी गाड़ियाँ आती हैं। गोरखपुरकी ओरसे आनेवाले यात्रियों को मनकापुर स्टेशनपर गाड़ी बदलनी पड़ती है । फिर वहाँसे कटरा स्टेशन आना पड़ता है । यह सरयू नदीके दूसरे तट पर है । सरयूपर पक्का पुल है। अयोध्या स्टेशनसे राटागंज मुहल्ला १॥ कि. मी. और कटरा मुहल्ला ३ कि. मी. है। दोनों स्थानोंपर जैन धर्मशाला हैं । क्ि मिलते हैं ।
शाश्वत तीर्थं
जैन मान्यता के अनुसार यह शाश्वत नगरी है । प्रथम तीर्थंकर भगवान् ऋषभदेवके गर्भं और जन्म कल्याणक तथा दूसरे तीर्थंकर भगवान् अजितनाथ, चौथे तीर्थंकर भगवान् अभिनन्दन - नाथ, पाँचवें तीर्थंकर भगवान् सुमतिनाथ और चौदहवें तीर्थंकर भगवान् अनन्तनाथ इन चारों तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक इस प्रकार पाँच तीर्थंकरोंके • १८ कल्याणक मानेका सौभाग्य इस पुण्य नगरीको प्राप्त हुआ है । इस दृष्टिसे इसे तीर्थराज कहा जा सकता है । जैन वाङ्मय प्रसिद्ध ग्रन्थ 'तिलोयपण्णत्ति' में इस प्रसंग में निम्नलिखित उल्लेख हैं— अवज्झाए उहो, मरुदेवि णाभिराएहिं ।
वेत्तासिय नवमी णक्खत्ते उत्तरासाढ़े || तिलोय० ४।५२६ ।
अर्थात् अयोध्या नगरीमें ऋषभदेवका जन्म, माता मरुदेवी और पिता नाभिरायसे चैत्र कृष्णा ९ को उत्तराषाढ़ नक्षत्रमें हुआ ।
माघस्स सुक्क पक्खे रोहिणि रिक्खम्मि दसमिदि वसम्मि ।
साकेदे अजिजिणो जादो जियसत्तु विजयाहि || तिलोय० ४।५२७
- साकेत अजितनाथ जिनेन्द्रका जन्म माता विजया और पिता जितशत्रु से माघ शुक्ला १० को रोहिणी नक्षत्र में हुआ ।
माघस्स वारसीए सिदम्मि, पक्खे पुणव्वसूरिक्खे |
संवर सिद्धत्थाहिं साकेदे णंदणो जादो || तिलोय पण्णत्ति || ४|५२९
- अभिनन्दननाथ माता सिद्धार्था और पिता संवरके घर में साकेत में माघ शुक्ला १२ को पुनर्वसु नक्षत्रमें उत्पन्न हुए ।
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मेघपण सुमई साकेदपुरम्मि मंगलाए य ।
सावण सुक्के यारसि दिवसम्मि मघासु संजणिदो ||
-तिलोयपण्णत्ति ४|५३०