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श्री भक्तामर महामण्डम पूजा
-:-- -- - - । मङ्गलकलश स्थापना ।।। प्रोम् अद्य भगवती महापुरुषस्य श्रीमदादिब्रह्मणों मतेऽस्मिन् विधीयमाने श्रीभक्तामरस्तोत्राखण्डकीर्तनकर्मणि अमुकबीरनिर्वाण सम्वत्सरे अमुकमासे, अमुकतिथी, अमुकदिने, प्रशस्तलग्ने, भूमिशुद्धधर्थ, शान्त्यर्थं, पुण्याहवाचनार्थं नवरत्नगन्धपुष्पाक्षतबीजपूरादिशोभितं शुद्धप्रासुकतीर्थ-जलपूरितं मङ्गलकलशस्थापनं करोमि श्री झ्वी क्ष्वी हं सः स्वाहा ।
इस मंत्र को पढ़कर शास्त्र जी के उत्तर कोने में जल, अक्षत, पुष्प. हलदो. सुपारी और रुपया सहित मङ्गलकलश स्थापित किया जाये। इस कलश को पुण्याहवाचन कलश भी कहते हैं।
ॐ ह्रीं अज्ञान तिमिरहरं दीपकं संस्थापयामि । विघ्नाम् निवारय निवारय मा १क्ष रक्ष स्वाहा ।
इस मन्त्र को पढ़कर पूर्व दिशा की भोर पीले सरसों क्षेपे ।
ओं ह्रीं णमो सिद्धाणं ह्रीं दक्षिण दिशासमागतविघ्नान निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा ।
इस मन्त्र को पढ़कर दक्षिण दिशा में पीले सरसों क्षेपे ।
प्रों हूं, णमो प्रायरीयाणं हं. पश्चिम दिशासमागतान् विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा ।
यह मन्त्र पढ़कर पश्चिम दिशा में पीले सरसों क्षेपे ।
मों ह्रौं णमो उवझायाणं ह्रौं उत्तरदिशासमागतविघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा ।
मह मन्त्र पढ़कर उत्तर दिशा की पोर पीले सरसों क्षेपे । भों ह्रः णमो नोए सव्वसाहूरगहः सर्वदिशासमागत