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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
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By niuttering day-and-night the sacred syllables of Thy nanc, even those, whose bodies are fettered from head to fiet by heavy chains and whose shanks are lacerated by the night gyves, instantaneously get rid of the fear of their bondage 46.
अस्त्रशस्त्राविशक्ति निरोधक मसहिपेन्द्र - मृगराज - देवानलाहि,
संग्रामवारिधिमहोदर बन्धनोत्थम् । तस्याशु नाशमुपयाति भयं भियेब,
यस्तावकं स्तवमिमं मतिमानधीते ॥४७॥ रोगज्वराः कुष्टभगन्दराद्याः,
जलाग्निघोरा विविधाश्च विघ्नाः । शीघ्र क्षय यान्ति जिनेशनाम,
सञ्जप्यमानस्य नरस्य पुण्यात् ॥४७|| वृषमेश्वर के गुण स्तवन का, करते निशिदिन जो चितन । भय भी भयाकुलित हो उनसे, भग जाता है हे स्वामिज ॥ कुंजर-समर-सिह-शोक-रुज, अहि दावानल कारागार । इनके अतिभीषण दुःखों का, हो जाता क्षण में संहार |४||
( ऋद्धि । ॐ हीं अहे णमो बनुमाणाण ।
( मंत्र ) ॐ नमो ह्रां ही हूं ह्रौं ह्र: यक्ष श्रीं ह्रीं फट् स्वाहा । ठः ठः ज: ज. क्षां क्षी झू क्षों क्ष: य: स्वाहा ।।४।।