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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
सकललोक में व्याप्त राम का, भ्रमर सरोसा काला ध्वान्त । प्रातः रवि को उग्र किरण लख, होजाता क्षण में प्राणान्त ।।७।।
(ऋश्चि) ॐ ह्रीं प्रहं णमो वीजबुद्धौणं ।
(मंत्र) ॐ ह्रीं हं सं श्रां श्रीं क्रौं क्लीं सर्वदुरितसंकट द्रोपद्रवकाष्टनिवारणं कुरु २ स्वाहा ।
(विधि) २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धिमंत्र भावसहित जपने से किसी प्रकार का विष नहीं चढ़ता । सपा कंकरी को १०८ बार मंत्रित कर सर्प के सिरपर मारने से सर्प कीलित हो जाता है |१७
पर्व-हे प्रभो! जिस तरह सूर्य की किरण द्वारा रात्रि का समस्त अन्धकार नष्ट हो जाता है उसी तरह अापके स्तवन से प्राणियों का अनेक जन्म में सञ्चित पाप नष्ट हो जाता है ॥७॥ ॐ ह्रीं सकलपापफलकष्टानिवारणाय, क्लोमहाबीजाक्षरसहिताय
हृदयस्थिताय श्रीवृषभजिनाय अर्मम् ।। As the black-bce-like darkness of the night, overspreading the universe, is dispelled instantáncously by the rays of the sun, so is the sin of men, accumulated through cycles of births, dispelled by the eulogies offered to you. 7
सर्वारिष्ट योग निवारक मत्वेति नाथ ! तब संस्तवनं मयेद
मारभ्यते तनुधियापि तव प्रभावात् । चेतो हरिष्यति सतां नलिनीदलेषु,
मुक्ताफलद्युतिमुपैति ननूद-बिन्दुः ॥८॥ ज्ञात्वा मया सुरचितों जिननाथ-पूज्यां,
पूजां विधाय पुरुषः शिवधाम याति ।