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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
(मंत्र) ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू नमः ।
(विधि) श्रद्धासहित लगातार २१ दिन तक १०८ बार ऋद्धिमन्त्र जपने से समस्त रोग और शत्रु शान्त हो जाते हैं।
अर्यः-सम्पूर्ण द्वादशाङ्ग का मान होने से प्रखरबुधि युक्त इगों ने तीनों लोकों के सित्त को लभाने वाले प्रशस्त स्तोत्रों से जिसकी स्तुति की थी उस माविनाथ भगवान की स्तुति करने के लिये में प्रल्पन "वृत्त होता. यह माल की है ।.२ ॐ ह्रीं नानामरस्तताम सकलरोगहराय फ्लीमहावीवाक्षरसहिताय
हृदयस्थिताय श्रीवृषभजिनाय प्रध्यम् । I shall indeed pay homage to that First Jinedra, Who with beautiful orisons captivating the minds of al! the three Worlds, has been worshipped by the lords of the gods endowed with profound wisdom born of all the Shastras. 2.
सर्वसिद्धि दायक बुद्धया विनापि बिबुधाचितपादपीठ !
स्तोतुं समुद्यतमति विगतप्रपोऽहम् । बालं विहाय जलसंस्थितमिन्दुबिम्ब
मन्यः क इच्छति जना सहसा ग्रहीतुम् ।।३।। युक्ता क्रियास्तवनमादिजिनस्य मूढो,
मत्या विनापि बुधसेवितपादकस्य । सम्पादयामि मनसीह कृतो विचारः,
पूजारतः सुचिरतः सुखदायकस्य ॥३॥