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श्री १००८ देवाधि देव भगवान महावीर स्वामी के समव शरण में इन्द्र इन्द्रानी ने भाकर भगवान की स्तुति की।
भगवान सदा सुख सागर में मान रहते हैं उन्हें लेश मात्र दुःख नहीं है। और यह मनुष्य लोक उपमा रहित है यहाँ लोग शोक (दुःख का)
त्याग कर धम ध्यान करते है।