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जल में जीव वर्तमान वैज्ञानिकों को सम्मति जल छान कर पीना परम धर्म है।
अहिंसा परमो धर्मः पाठकवृन्द जो ऊपर चित्र देख रहे हैं, वह जल में रहने वाले सुक्ष्मतर ऐसे बारीक जीवों का है जिनको कोई भी मनुष्य साधारण आँखों से नहीं देख सकता। वर्तमान समय के सुप्रसिद्ध विज्ञानवेत्ता कैप्टन स्ववोसंबी" ने इनको दूरबीन (सूक्ष्म दर्शक यन्त्र) से देखकर इनका फोटो लिया है उसी की ययार्थ नकल ऊपर दी गई है। आपने इन सूक्ष्म जन्तुओं की संख्या ३६४५० बतलाई है। यह संख्या पानी के एक सबसे छोटे बिन्दु में होने वाले जीवों की है 1 इलाहाबाद गवर्मेट प्रेस से एक पुस्तक 'सिद्ध पदार्थ विज्ञान" नाम की प्रकाशित हुई है उसमें कंप्टन साहब का पूरा मत दिया है । तथा उपयुक्त फोटो भी वहां दिया है ! अनेक वैज्ञानिकों का अब यह कहना है कि पानी हमेशा छानकर ही पीना चाहिये। क्योंकि बिना छाने पानी पीने से कभी-कभी सूक्ष्म जन्तु पेट में जाकर अनेक भयानक बीमारियाँ उत्पन्न कर देते हैं। अतः इन विषेले रोगोत्पादक जन्तुओं के विष से बचने के लिये छानकर पानी पीना परममावश्यक है। महाराज मनुजी ने पानी छानकर पोने का हो -उपदेश दिया है। यथा-- दृष्टि पूतं न्यसेत्पाद, वस्त्र पूतं जलं पिवेत् ।
मनुस्मृति ०६।४६ अर्थात्-जमीन को देखकर चलो और वस्त्र से छानकर पानी पियो। अन्यथा सूक्ष्म जीवों को मारने के अपराधी बनोगे। श्री स्वामी दयानन्दजी ने भी सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे समुल्लास में पानी छानकर पीने का उपदेश दिया है। प्रतः धाभिक और वैज्ञानिक सभी विद्वानों को सम्मति में पानी छानकर पीना परम कर्तव्य है।
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