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चारित्र
मारीच कुमार आदिन पग्निातक दोसा धारणा करली।
श्री १०८ भगवान यादिनाथ जी के नाथ मीच कुमार ने चार हजार राजाओं के साथ दोज्ञा वारण करली परन्तु भारोच कुमार महित कुन्द माधु सुखप्यास को सहन न कर सक और पथभ्रष्ट होकर जंगल के फल फल नोरकर याने नको नया नदीनानाय नदि में पानी नेगे।