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Lord Mahavir Hindi-English Juin Dictionary 555
सांसारिक दुःख 124 स्वर्ग, यहाँ का इन्द्र शतार है।
प्रकृति है। सहानवम्या विरोध - Suhtierrestha Virodhu. सांतर मार्गणा - Shanteru firgunm. Mutual opposition in the different states of a Maryna investigation) with discontinuity or maller.
gaps पिरध के भेदों में एक भेद। यत्त विरोध एक तस्तु की कमर मति पागणा| अर्यात जिनमें अंतर-विच्छेद नहीं में होने वाली दो पर्यायों में होता है। नगी पर्याय उत्पन्न होती है पढ़ा की रिर मार्गा और जिनमें विच्छेद पड़ जाता है तो पूर्व पर्याय म्ह हो जाती है।
टनक साता मागंणा की है। 14 मार्गणाओ में B सान्तर सहायक कारण - Sahiyake kitreena.
माणगे हैं। A helping cause.
सांतर सिद्ध - Sintara Siddiur, एक कारण। जो स्वय कार्यरुप परिणम वह उपादान कारण है Belngs to be sarvated from Santer Galr. तथा उसपे सहायक हाने गले पर द्रव्य व गुण निपिन महायक अलव-
विहिन हरपल सिद. करण हैं इसे ब्लाधान या उदासीन निमित्त भी कहत। सांच-sinine सहेतुक प्रत्याख्यान -Sahetika Pratyaktrnine Regular solid, Smooth, Beaulitul. Causal renunciation-one of the 10 types of नियमित गान्द, पन, ठोर, चिकना. मृदु, सुन्दर । renunciations.
सोपराथिक-Shinparivika प्रत्याख्यान के सामान्य 10 भेदों में एक भेद। किसी निमित से
Mundane introw, passionful in Nux किया जाने वाला त्याग जैसे-इस पंथ का अध्ययन अदि पूर्ण
काय माहित अर्थात जो कर्म यगार का प्रयाजक है वह हान राक अमुक का स्थान किरन! ।
साम्रायिकते। सहेतुक वन - Amhrtaka Varu.
सापगयिक आस्त्र - Sarinivarlyikaxravs. Nate of inrllation & omniscience forests of 9
Possiantul Intlux. Tirthankars(Jana-Lords)-Ajitnath. Sambhava
स्वामी की अपक्ष आमलको एकदकवाय nath, Sumatinalh, Suparshvanath. Shontalnath,
सहित होने वाले आसन को भाम्परारिक आय करते हैं। Virmalnath, Anantnath, Kunthunath &Arahrroth तीपंकर जनराध सभवनाथ, सुमतिनाथ, सुपारचमीय,
पहले मदम गाम्या भापरयिक अनव मेता है। शीतलन्गण, विष्लनाथ, अनंतनम्य, कंगनाथ, अरनाथ का
दारके 51 भेद है मिथ्यात्व, अविरत, 15 प्रमाद, एवं केवलमान बन ।
25 कवाय । योग ।
सापरायिक बंधक-Sanjardvita Bandhaka. सह्म - Sahya Name of 8 mountain situated near Malaygin
Those bound with passionul Influx. पत्तयागी के समीप में स्थित एक पर्वत ।
प्रथम गुणस्थान से लेकर 10वें गुणस्थान तक के जीव काय सांख्यदर्शन -Sankhyndarirana.
सहित होने में गम्यायिक बंधक कहलाते है। Name of a philosophy, Its founder was Maharshl
। सांवत्सरिक प्रतिक्रमण - Kapil
Surta sarika Prucikrumaa एक प्रकांत दर्शन इसके मूल प्रणेसा महर्षि कपिल थे। इस A type of repentance, carried on annually by दर्शन के पूल पदार्थ दं हैं पुरुष व प्रकृति। पुरुष चेतन सत्य है Jain saints और प्रकृति जड़ है।
प्रतिक्रमण के ? भेंटों में स्टा अंदा देग्न वार्षिक परीकमण , सांतर निरंतर द्रव्य वर्गणा
सांध्यवहारिक प्रत्यक्षSamant Nirwana Dravw Varga
Stim a terika Pratyuksa. A type of l'arme aggregates having nature of
Right sensual apprehension or perception continully adlscontinully both..
प्रा के दो भेदों में एक भेद। जो ज्ञान इन्द्रिय और पन की जो वर्गमा अंतर के साथ निरन जानी है, उसकी मांतर-निरन्तर ।
सहायता से पटाई को एकदेश स्पष्ट जानता है। उसे सांव्यवहारिक दृष्ट्य वर्गणा संशा है। यह अमहणा वाणा है, क्योंकि यह
प्रत्यक्ष कहते है। वयपि सैद्धान्तिक दधिकोण से या परिभाषा आहार, जन, माया, मन और कर्म के अयोग्य है .
पराप्त जान ये परिन हस्ती है पान्न न्याय की भाषा में इसे सातर संधी प्रकृति -Santara Barjathi Preekrit
सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहा गया। A kamsie nature with having property of its an
सांसारिक दुःख - Shirdika Duhkiya. nihilation (lo pul out of existence of one Gart for Worldly afflickans of troubles anather).
लौकिक विषयों में उत्पक द:ख अथांग भोगमाघमात्मक जिस कर्म प्रकृति का काल के क्षय से बन्ध व्यक्ोद संभव है भोगों का वियान ही में कीमत उत्पन होना है। मगरी जीवों वह साक्षरबंधी प्रकृति है। अर्थात् जहां किसी समय देवगति का का इन्द्रिय मख वामनः अनिम होने के कारण खप ही। बंए हो और किसी समय अन्य गति का बंध हो वह मांसबंधी क्योंकि आपतिकाल में भोग रोग वित्त # दंग करने