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________________ में चंदनामती माताजी के इस चिंतन की सराहना मैं शब्दों में नहीं कर सकता । अंतत: माताजी ने इन विषम परिस्थितियों के उपचार स्वरूप समाज को समाज के ही अनुरूप सरल और रुचिकर भाषाओं (हिन्दी व अंग्रेजी) एवं परिभाषाओं में जैन वाड्.मय के सार को कागजों पर अंकित करने की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि जैनधर्म से संबंधित शब्दावलियों का एक शब्दकोश होना चाहिए जो अपने आप में विश्वकोश के स्वरूप में जन-जन को उपलब्ध हो सके और जिससे हमारे शास्त्रों को समझने एवं तदुपरांत उसके परिपालन करने में जैन-अजैन धर्मावलम्बियों की रुचि और धार्मिक रुझान वृद्धिंगत हो सके। इससे जैनधर्म के गर्म का संरक्षण हो सकेगा और जैनधर्म की संस्कृति हमेशा-हमेशा जीवंत बनी रहेगी। माताजी स्वयं इस दिशा में क्रियाशील हुई और कार्य के दौरान सहयोग हेतु डॉ. अनुपम जैन, यो । समक्ष अपनी विस्तृत मोजकाई और हाँ माताजी के इस गहरे चिंतन एवं प्रयास की प्रशंसा करते हुए शीघ्र ही इस दिशा में सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। चूँकि मैं स्वयं अनुपम जी का शिष्य रहा हूँ तो उन्होंने मुझे बुलाया और इस प्रोजेक्ट के बारे में मुझसे चर्चा की एवं जिस क्षेत्र में मैं बिल्कुल ज्ञानशून्य था, ऐसे कार्य की गहराई को बिना अंदाज किए समस्त रूपरेखा को समझकर 1 अक्टूबर 2001 से कार्य प्रारंभ कर दिया गया। हिन्दी शब्दों को उचित रूप में परिभाषित करने के लिए व्र, (कु.) रजनी बहन जी का सहयोग लिया गया। बीच-बीच में जब शब्दों के अंग्रेजी रूपान्तरण में कठिनाइयों का अनुभव किया गया तब श्री कोमलचन्द जी जैन से अपना सहयोग प्रदान करने की स्वीकृति प्राप्त की गई। इस तरह उचित अंग्रेजी रूपान्तरण के साथ इस कार्य को समायोजित किया गया और पूज्य ज्ञानमती माताजी के सानिध्य में इस कार्य की वाचमा, पुन:शुद्धिकरण एवं अतिरिक्त संकलन हेतु इसका एक 600 पृष्ठीय विस्तृत टंकित संकलित प्रारूप 10 नवम्बर 2003 को कुण्डलपुर लाया गया। इसके उपरांत लगभग 6 माह शब्दकोश की वाचना में तथा 6 माह अतिरिक्त संकलन, कम्प्यूटरीकरण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य किया गया जिसके फलस्वरूप यह कार्य इस स्वरूप को पा सका है। ___ गंभीर विचार-विमर्श एवं मेहनत से किये इस कार्य की विषय-वस्तु में प्रामाणिकता लाने के लिए भावान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर में पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी, पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी, पूज्य क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज, श्री रवीन्द्र कुमार जैन एवं ब्र. (कु.) स्वाति जैन (संघस्थ-ज्ञानमती माताजी) के सानिध्य में लगभग 6 महीने की याचना आयोजित की गई। वाचना के दौरान एक-एक शब्द की हिन्दी-अंग्रेजी परिभाषाओं को सभी के व्यक्तिगत अभिमत, तर्क एवं दृष्टिकोण को सामूहिक रूप से ध्यान में रखते हुए आगम-सम्मत सारगर्भित तथ्यों को चयनित किया गया । कड़ी मेहनत वाले इस कार्य में शुरू से आखिरी तक एवं विशेषत: वाचना के दौरान पूज्य आर्यिका श्री चंदनामती माताजी की प्रगाद अभिरुचि, अडिग लक्ष्य और अनथक मेहनत ने इस कार्य की सिद्धि को निश्चित किया। चंदनामती माताजी ने अपने नित्य सामायिक, स्वाध्याय आदि समस्त धार्मिक कर्तव्यों का पूरा निर्वाह करते हुए शब्दकोश के लिए प्रतिदिन एक-दो नहीं वरन् आठ-आठ घंटे की मेहनत सुबह, दोपहर और संध्याकालीन बैठकों में की। कार्य को निर्धारित समयावधि में सम्पन्न करने हेतु [32]
SR No.090075
Book TitleBhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanamati Mata
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages653
LanguageHindi, English
ClassificationDictionary, Dictionary, & Religion
File Size16 MB
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