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Lord Mahavir Hindi English Jaln Dictionary
ज्ञानसमय पद दिपायका प्रन का निर्णनत म्वाध्याय एवं पूर्व पहागहीकात वर्ष । मन 2000 और भगवान पार्थनगर में सात एकर कन्या के बल पर त्याग मार्ग को धारण जमझन्गगाऊ तर मास महामवासन 2003) कर जैनशामन मनमान बाप र 'छटते, नक्षत्रों में देवोग्यभान जैसे महान आगांतनो भी भागांत . मई गीत अपनी जाश-ररिंन्णे का प्रकीणि किया है। जानमद-Jiinda. भगवान महावीर म पश्चात जहां 2500 वर्ष के इतिहास में Pnde ar put atknowledge किभी भी जैन साजी द्वारा रास्त लखन की बाई पिसान्त शन का घरहा । दहिगांचर नहीं होती थी नहीं जायमानी मनी नपखंडागम सामावा. ग़मयसार, निरामसार इत्यादि की हिन्दी-सत्कृत टीकाए. जैन ।
A Type of knowledgeable Investigation about भारती, ज्ञानामृत, कानन करा, जनांक परकर, पवन
beings निर्देशिका मादिम्वाध्याय प्रम, पनि, मंमार, भक्ति, आदिब्रह्म, 14-मेगाओ में एक मार्गण, ज्ञान के प्रवक अन्नत्रणा। भाटे का मार्ग जीवनदान इत्यादि मामिक उपन्यास, जानमीमांसा - Hijarermentensi व्यसंग्रह-रामकरंडानकाचार इत्यायिक हिन्दी पद्यानुवाद, Apnot Victii Philosophy
मादयस्तोटू. तीनलोक, सिसचा विश्वानि वैदिक दर्शन का एक मीपाना, महावीर विधान आदि अनंक गौलिक रन्थों को मिलाकर 250
ज्ञानमूढ़-Trinamurha. से अधिक कार्यो का म का इतिहार का बदला है। आपने
A title of the baint, devoid of righi conduct गोम्गरसार, परीक्षान्ना, ममदापका, प्रमंयकालमार्तण्ट,
मप्यक्त्यआचरण में शक उपाधि । अष्टसाप्तस्त्री. तत्वार्थराजवनिक, माथीं गंद. अनगारपम.मल. पुलाचार, त्रिलोकमार बेमें था क अप्पयन अपर
: ज्ञानयोग - JHARRYuga
A branch of Yogit अनेक शिष्य-शिष्याओं तथा सघम्य माओ को कराया जिसके
योग की एक शाखा जो शान में संबंधित है । फसस्टरूम बई विद्वान आवाये ॥ आयिकाओं ने उन्न लिया, किम अाचार्य अजितसागर, आचार्य मावार,
ज्ञानविनय - Tinninaye आचार्य अभिनंदनसागर, आर्पिका रत्नमना. आर्यिका जनमती,
Internal penance paylng reverenca lo righi आर्यिका चन्दनामती आदि प्रमुख हैं। पूज्य शानमती माताजी ने
knowledge
अंतरंग पकाएक भेदः मम्याज्ञान की प्रारा सम्मानपूर्वक सौकिक शिक्षा में कक्षा तीन रक अध्ययन किया है लेकिन
प्रहण करना अपचा ज्ञान, शान के उपकरमा पवं ज्ञानी पुरुषों में उनकी गहरी अकादमिक रुचि एज दुरदृष्टिकोण के परिणाम
भक्ति आदा भाव होना । स्वरूप उनकमा सन् 1985 में 'जैन गमिगत एवं त्रिलोक विज्ञान' पर अंतर्राष्ट्रीय मेमिनार नम्बधी-सिनापुर
ज्ञानवृद्ध-Jilandsradetha मैं सम्पन्न हुआ। ५ः कई गोष्ठियाँ आयोजित की गई और
One having abundant nght knowledge सन् 1998 में 'भगवान ऋषभदेश राष्टीय लपति सपना' तत्वज्ञान आदि गुण की जिसमें अधिकता हो । को भब्य आयोजन किया गया, जिसके फलस्वरूप देश में ज्ञानशक्ति-Jianrinkin. पाई जाने वाली पालमपातकों में भगवान महावीर को जैनधर्म
One of the 47 powers acquired by the soul मा. संम्पायक जत्लिक्षित करने बर्ग प्रान्तियों का निराकरण
जीव की शक्तियों में एक शक्तिशा पदा में विशेष रूप होने हेतु पर्याप्त बल मिला एवं पाठयपस्तकों में भगवान में उपयुक्त होने वाली आत्मा की एक साकारोपयोगी शक्ति शरमदेव को इस युग में जैनधर्म का प्रथम प्रवर्तक लिखा जाने अर्थात् ज्ञान । ला। माताजी का बहायापी दष्टिकोण किसी भी क्षेत्र के ज्ञानशल्य - Jhinesntvn. विकास मे प्रसूता नहीं रहा। जैनधर्म एवं संस्कृति के संरक्षण Dishoncur orright knowledge पर्व विकास में भी माताजीम गोल की अद्वितीय रचना- अकाल में पढ़ना और ज्ञान का अविनबादिक करना । वीप का निर्माण हस्तिनापुर में करायाः, यहाँ स्वार्ग से कम जानशुद्धि - Janatudetail. अनुभूति नहीं होगी। इसी श्रृंखला में अयोध्या, मांगतुंमी. Acqulring real knowledge tmeaningful extrac. प्रयाग (सीकर ऋषपदेव तपस्थली तीर्थ), रुण्डलपुर नालंका lion) of the universe. (नेपाषर्त महल तीर्थ) आदि अनेक तीर्थों का निर्माण एव शानरुपी प्रकाश में मारे लोक का मार मान लेना । विकास भी मानाजी की प्रेरणा पर आशीर्वाद से सम्पन्न हुआ। ज्ञानसंस्कार -Jivinayainskira. माताजी को उनकी अपार विद्वत्ता के मम्गन में अवध Paying reversnce to scriplures. विश्वविद्यालय, फैजाबाद रादी.लिट. की मानद उपाधि भी विनय के भाथ शास आदि के पदना । प्राप्त है। अयुद्धीप ज्ञानज्योति (सन् 1982), भगवान विषदेत ज्ञानसमय - Jianasrimaya. समवसरण मीविहार (सन् 1981 एवं भगवान महरि ज्योति Right time of paining right knowledge (सन् 2003)ों के अखिल भारतीय प्रवर्तन की सरिक मिथ्यात्म के अभाव में होने वाला प्रामानी शानम्मय है।
था भगवान अपभदेव जन्मजयंती महोत्सव पर्व । सन् 1997), ज्ञानममह पावनखिप होता (या दिगम्बर महामनियों में से प्रधानमंत्री बारा उधाटित पगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्माण । होता है।
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