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परिशिष्ऽध्यायः
भावार्थ---उसके बाद नगर की गलियों में गुम हुआ जो पहले शब्द सुनाई पड़े वह चाहे शुभ शब्द हो या अशुभ शब्द हो उसका स्मरण कर फिर उसके ऊपर विचार करे। अगर अशुभ शब्द हो तो मृत्यु, वेदना, पीड़ा आदि होती है। शुभ शब्द सुनाई पड़े तो निरोगता अर्थ सिद्धि आदि प्राप्त होती है॥१६१।।
अहंदादिस्तयो राजा सिद्धिर्बुद्धिस्तु मङ्गलम् ।
वृद्धि श्री जय ऋद्धिश्च धनधान्यादि सम्पदः ॥ १६२॥
नगर में घूमते समय यदि (अर्हदादिस्तवो) अर्हत भगवान की पूजा, स्तवन, स्तुति आदि सुनाई पड़े एवं (राजा सिद्धिर्बुद्धिस्तु मङ्गलम्) राजा, सिद्धि, बुद्धि, मंगल (वृद्धिश्री) वृद्धि हो (जय) जय हो (ऋद्धिश्च) श्रृद्धि हो और (धनधान्यादि सम्पदः) धन, धन्यादि सम्पदा
भावार्थ-नगर में शब्द निमित्त के लिये भ्रमण करते समय अर्हन्त भगवान की स्तुति पूजा, स्तवादि के शब्द सुनाई पड़े एवं राजा सिद्धि, बुद्धि, माल, वृद्धिश्री, जय, रिद्धि, धन, धन्यादि, सम्पदा, सुनाई पड़े।। १६२ ।।
जन्मोत्सवप्रतिष्ठाद्याः देवेष्ट्यादिशुभक्रियाः। द्रव्यादि नाम श्रवणा: शुभा: शब्दाः प्रकीर्तिताः ।।१६३ ।।
(जन्मोत्सव प्रतिष्ठाद्याः) जन्मोत्सव, प्रतिष्ठादि (देवेष्ट्यादि शुभक्रिया:) देव की पूजा के अष्ट द्रव्यों का नाम, शुभ क्रिया (द्रव्यादिनाम श्रवणा:) द्रव्यादि का नाम श्रवण आदि (शुभाःशब्दा: प्रकीर्तिता:) शुभ शब्द सुनाई पड़े तो शुभ है।
भावार्थ-जन्मोत्सव, प्रतिष्ठादि, देव की पूजा के अष्ट द्रव्यों का नाम, शुभ क्रिया, द्रव्यादि का नाम श्रवण करने को मिले तो ये शब्द शुभ है, धन, धान्यादिक की प्राप्ति कराने वाले है आरोग्य लाभ कराने वाले हैं॥१६३ ।।
अम्बिकाशब्दनिमित्तं छत्रमालाध्वजागन्धपूर्ण कुम्भादि संयुतः।
वृषाश्च गृहिणः पुंस: सपुत्रा भूषितास्त्रियः॥ १६४।।
(अम्बिकाशब्दनिमित्तं) अम्बिका शब्द निमित्त शब्द (छत्रक्ष, माला, ध्वजा, गन्ध) छत्र, माला, ध्वजा, गन्ध (पूर्णकुम्भादि संयुत:) पूर्ण कुम्भ (वृषाश्च) बैल