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भद्रबाहु संहिता
के अन्त में यदि कोई अशुभ ग्रह हो तो (तत्रानयः प्रजानां च दम्पत्योः) वहाँ पर प्रजा में अन्याय और स्त्री पुरुषों में (वैरमादिशेत् ) वैर उत्पन्न होता है ।
भावार्थ — चन्द्रमा की निवृत्ति होने पर पक्ष के अन्त में यदि कोई अशुभ ग्रह हो तो वहाँ पर अनीति अन्याय होता है और स्त्री पुरुषों में वैर भाव जाग्रत होता है || ३ ||
नये वस्त्र धारण करने का फल
सम्पदः ।
कृत्तिकायां दहत्यग्नी रोहिण्यामर्थ दशन्ति मूषिका: सौम्ये चार्द्रायां प्राणसंशयः ॥ ४ ॥ (कृत्तिकायांदहत्यग्नी) कृत्तिका नक्षत्रमें नवीन वस्त्र धारण करने से वह वस्त्र अग्नि से जल जाता है । (रोहिण्यामर्थ सम्पदः) रोहिणी नक्षत्र में वस्त्र धारण करने से धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है (सौम्ये मूषिका : दशन्ति ) मृगशिरा नक्षत्रमें चूहे काट जाते हैं (चार्द्रायां प्राण संशयः) और आर्द्रा नक्षत्र में नये कपड़े पहनने से प्राण संकट में पड़ जाते है।
भावार्थ — कृत्तिका नक्षत्र में नये वस्त्र धारण करने पर अग्नि में जल जाता है रोहिणी में धारण करने से धन सम्पत्ति प्राप्त होती है मृगशिरा में धारण करने से चूहे काट जाते हैं आर्द्रा में धारण करने से प्राण संकट में पड़ जाते हैं ॥ ४ ॥
धान्यं पुनर्वसी वस्त्रं पुष्यः आश्लेषासु भवेद्रोगः श्मशानं पूर्वाफाल्गुनी शुभदा वस्त्रदा संस्मृता लोके
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सर्वार्थसाधकः । स्यान्मघासु च ॥५॥
राज्यदोत्तरफाल्गुनी । तूत्तरभाद्रपदा शुभा ॥ ६ ॥
(वस्त्र) नवीन वस्त्र को ( षुनर्वसौ) पुनर्वसु में धारण किया जाय तो ( धान्यं) धान्य की प्राप्ति होती है ( पुष्यः सर्वार्थ साधकः ) पुष्य में धारण करे तो सर्वकार्य सिद्ध होते हैं, (आश्लेषासु भवेद्रोगः श्मशानं ) आश्लेषा में धारण करने से रोग होता है मघा में वस्त्र धारण करने से मरण होता है। (पूर्वाफाल्गुनी शुभदा) पूर्वाफाल्गुनी में वस्त्र धारण करना शुभ है ( राज्यदोत्तरफाल्गुनी) उत्तराफाल्गुनी में राज्य प्राप्त
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