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पन्मदितितो
पदार्थों के संग्रहमें तीसरे महीने लाभ होता है। मंगलवारको संक्रान्ति प्रवेश करे तो घी, तेल, धान्य आदि पदार्थ तेज होते हैं। लाल वस्तुओंमें अधिक तेजी आदि आती है तथा सभी वस्तुओंके संग्रहमें दूसरे महीनेमें लाभ होता है। बुधवारको संक्रान्तिका प्रवेश होनेपर श्वेत वस्त्र, श्वेत रंगके अन्य पदार्थ महंगे तथा नील, लाल और श्याम रंगके पदार्थ दूसरे महीनेमें लाभप्रद होते हैं। गुरुवारको संक्रान्तिका प्रवेश हो तो प्रजा सुखी, धान्य सस्ते; गुड़, खाण्ड आदि मधुर पदार्थोंमें दो महीने के उपरान्त लाभ होता है। शुक्रवारको संक्रान्ति प्रविष्ट हो तो सभी वस्तुएँ सस्ती, लोग सुखी-सम्पन्न, अन्नकी अत्यधिक गति, पीली वस्तुएँ, श्वेत वस्त्र तेज होते हैं और तेल, गुड़के संग्रहमें चौथे मासमें लाभ होता है। शनिवारको संक्रान्तिके प्रविष्ट होनेसे धान्य तेज, प्रजा दुःखी, राजविरोध, पशुओंको पीड़ा, अन्न नाश तथा अत्रका भाव भी तेज होता है।
जिस वार के दिन संक्रान्ति का प्रवेश हो, उसी वार को उस मास में अमावस्या हो, तो खर्पर योग होता है। यह जीवों का और धान्य का नाश करने वाला होता है। इस योग में अनाज में घटा-बढ़ी चलती है, जिससे व्यापारियों को भी लाभ नहीं हो पाता।
पहले संक्रान्ति शनिवारको प्रविष्ट हुई हो, इससे आगेवाली दुसरी संक्रान्ति रविवारको प्रविष्ट हुई हो और तीसरी आगेवाली मंगलवारको प्रविष्ट हो तो खर्पर योग होता है। यह योग अत्यन्त कष्ट देनेवाला है।
___ मकर संक्रान्तिका फल-पौष महीनेमें मकर संक्रान्ति रविवारको प्रविष्ट हो तो धान्यका मूल्य गुना होता है। शनिवारको हो तो तिगुना, मंगलके दिन प्रविष्ट हो तो चौगुना धान्यका मूल्य होता है। बुध और शुक्रवारको प्रविष्ट होने से समान भाव' और गुरु तथा सोमवारको हो तो आधा भाव होता है।
शनि, रवि और मंगलके दिन मकर संक्रान्तिका प्रवेश हो तो अनाजका भाव तेज होता है। यदि मेष और कर्क संक्रान्तिका रवि, मंगल और शनिवारको प्रवेश हो तो अनाज महँगा, ईति-भीति आदिका आतंक रहता है। कार्तिक तथा मार्गशीर्षकी संक्रान्तिके दिन जलवृष्टि हो तो पौषमें अनाज सस्ता होता है तथा फसल मध्यम होती है। कर्क अथवा मकर संक्रान्ति शनि, रवि और मंगलवारकी हो तो भूकम्पका