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| चतुर्विंशतितमोऽध्यायः
फैलती हैं। घरेलू युद्ध देशके प्रत्येक भागमें आरम्भ हो जाते हैं। पंजाबकी स्थिति बिगड़ जाती है, जिससे वहाँ शान्ति स्थापित होनेमें कठिनाई रहती है। विदेशोंके साथ भारतका सम्पर्क बढ़ता है। नये-नये व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित होते हैं। देश के व्यापारियों की स्थिति अच्छी नहीं रहती है। छोटे-छोटे दुकानदारों को लाभ होता है। बड़े-बड़े व्यापारियों की स्थिति बहुत खराब हो जाती है। खनिज पदार्थोंकी उत्पत्ति बढ़ती है। कला-कौशलका विकास होता है। देश के कलाकारोंको सम्मान प्राप्त होता है। साहित्यकी उन्नति भले प्रकारसे होती है। नवीन साहित्यके नजनके लिए यह एक उत्तम अवसर है। यदि परम्परानुसार ग्रहाक आगे सौभ्य ग्रह स्थित हों तो वर्षा अच्छी होती है, साथ ही देशका आर्थिक विकास होता है और देशको नये मन्त्रिमण्डल का निर्वाचन भी होता है। धारा सभाओं और विधान सभाके सदस्योंमें मतभेद होता है। विश्वमें नवीन वस्तुओंका अन्वेषण होता है, जिससे देशकी सांस्कृतिक परम्पराका पूरा विकास होता है। नृत्य, गान और इसी प्रकारके अन्य कलाकारोंको साधारण सम्मान प्राप्त होता है। यदि शुक्र, शनि, मंगल और बुध ये ग्रह बृहस्पतिसे युत या दृष्ट हों तो सुभिक्ष होता है, वर्षा साधारणत: अच्छी होती है। दक्षिण भारतमें फसल उत्तम उपजती है। सुपाड़ी, नारियल, चावल एवं गुड़ का भाव तेज होता है। जब क्रूर ग्रह आपसमें युद्ध करते हैं तो जन-साधारणमें भय, आतंक और हिंसाका प्रभाव अंकित हो जाता है। शुभ ग्रहों का युद्ध शुभ फल करता है।
इति श्रीपंचम श्रुत दिगम्बराचार्य केवली भद्रबाहु स्वामी विरचित भद्रबाहु संहिता का ग्रह युद्ध नामक चौबीसवाँ अध्याय हिन्दी भाषानुवाद करने वाली क्षेमोदय टीका समाप्त।
(इति चतुर्विशतितमोऽध्यायः समाप्तः)