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अष्टादशोऽध्यायः
बुधसंचार का वर्णन गर्ति प्रवासमुदयं वर्ण ग्रह समागमम्।
बुधस्य सम्प्रवक्ष्यामि फलानि च निबोधत ॥१॥ (ग्रह) ग्रह और (समागमम्) गमन, (प्रवासं) ठहरना (उदय) उदय (वर्ण) वर्ण (ग्रह) ग्रह और (समागमम्) समागम (सम्प्रवक्ष्यामि) कहूँगा (फलानि च निबोधत) उसके फल को अवगत करो।
भावार्थ-बुध को गांत प्रवास, उदय वर्णे ग्रह समागम को अब में कहूँगा उसके फल को आप जानो॥१॥
सौम्या विमिश्राः संक्षिप्तास्तीता घोरास्तथैव च।
दुर्गावगतयो ज्ञेया बुधस्य च विचक्षणैः ।। २।। (सौम्या विमिश्राः संक्षिप्ता:) सौम्या, विमिश्रा संक्षिप्ता, (तीव्राघोरास्तथैव च) तीव्रा, घोरा उसी प्रकार (दुर्गा) दुर्गा और (वगतयों) पापा ये सात (बुधस्य च विचक्षणै:) बुध की गतियों बुद्धिमानों ने कही है।
भावार्थ-सौम्या, विमिश्रा, संक्षिप्ता, तीव्रा, घोरा और दुर्गा,पापा ये सात बुध की गति बुद्धिमानों ने कही है॥२॥
सौम्यां गतिं समुत्थाय त्रिपक्षाद् दृश्यते बुधः। विमिश्रायां गतौ पक्षे संक्षिप्तायां षडूनके ।। ३॥ तीक्ष्णायां दशरात्रेण घोरायां तु षडाहिके।
पापिकायां त्रिरात्रेण . दुर्गायां सम्यगक्षये॥४॥ (सौम्यां गतिं समुत्थाय) सौम्य गति में (बुध: त्रिपक्षाद् दृश्यते) बुध तीन पक्ष में दिखता है (विमिश्रायां गतौ पक्षे) विमिश्रा गति में दो पक्ष, (संक्षिप्तायां षडूनके) संक्षिप्ता गति में चौबीस दिनों में (तीक्ष्णयां दश रात्रेण) तीक्ष्णा गति में