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| चतुर्दशोऽध्यायः
सम्पत्ति नष्ट होती है, जिस नगरमें यह घटना घटती है। जंगलमें गई हुई गायें मध्याह्नमें ही रंभाती हुई लौट आवें और वे अपने बछड़ोंको दूध न पिलावें तो सम्पत्तिका विनाश समझना चाहिए। किसी भी नगरमें कई दिनों तक संघर्ष होता रहे वहाँके निवासियोंमें मेलमिलाप न हो तो पांच महीनोंमें समस्त सम्पत्तिका विनाश हो जाता है। वरुण नक्षत्रका केतु दक्षिणमें उदय हो तो भी सम्पत्तिका विनाश समझना चाहिए। यदि लगातार तीन दिनों तक प्रातः सन्ध्याकाली, मध्याह्न सन्ध्या नीली और सायं सन्ध्या मिश्रित वर्णकी दिखलाई पड़े तो भय, आतंकके साथ द्रव्य विनाशकी भी सूचना मिलती है। रातको निरभ्र आकाशमें ताराओंका अभाव दिखलाई पड़े या ताराएँ टूटती हुई मालूम हो, तो रोग और धन नाश दोनों फल प्राप्त होते है। यदि ताराओं का रंग गरम के समान मालूम हो दक्षिण दिशा रुदन करती हुयी और उत्तर दिशा हंसती हुई सी दिखलाई पड़ें तो धन-धान्यका विनाश होता है। पशुओंकी वाणी यदि मनुष्यके समान मालूम हो तो धन-धान्यके विनाशके साथ संग्रामकी सूचना भी मिलती है। कबूतर अपने पंखोंको पटकता हुआ जिस घरमें उल्टा गिरता है और अकारण ही मृत जैसा हो जाता है, उस घर की सम्पत्तिका विनाश हो जाता है। यदि गाँव या नगरके बीस पच्चीस बच्चे जो नग्न होकर धूलिमें खेल रहे हों, वे अकस्मात् नष्ट हो गया 'नष्ट हो गया' इस शब्दका व्यवहार करें तो उस नगरसे सम्पत्ति रूठकर चली जाती है। रथ, मोटर, इक्का, रिक्शा, साइकिल आदि की सवारीपर चढ़ते ही कोई व्यक्ति पानी गिराते हुए दिखलायी पड़े तो भी धन नाश होता है। दक्षिण दिशाकी ओरसे शृगालका रोते हुए नगरमें प्रवेश करना धन-हानिका सूचक है।
वर्षाभाव सूचक उत्पात-ग्रीष्म ऋतुमें आकाशमें इन्द्रधनुष दिखलाई पड़े, माघमासमें गर्मी पड़े तो उस वर्ष वर्षा नहीं होती है। वर्षाऋतुके आगमनसे कुहासा छा जावे तो उस वर्ष वर्षाका अभाव जानना चाहिए। आषाढ़ महीनेके प्रारम्भमें इन्द्रधनुषका दिखलाई पड़ना भी वर्षाभाव सूचक है। सर्पको छोड़कर अन्य जातिके प्राणी सन्तानका भक्षण करें तो वर्षाभाव और घोर दुर्भिक्षकी सूचना समझनी चाहिए। यदि चूहे लड़ते हुए दिखलाई पड़ें, रातके समय श्वेत धनुष दिखलायी दे, सूर्यमें छेद मालूम पड़ें, चन्द्रमा टूटा हुआ-सा दिखलाई पड़ें, धूलिमें चिड़ियाँ स्नान करें