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दशमोऽध्यायः
विकास होता है। बुधके साथ सूर्यका इत्थशाल हो तो पशुओंके व्यापारमें विशेष लाभ, समयानुकूल वर्षा धान्यकी वृद्धि और सुख-शान्ति रहती है। शुक्रके साध इत्थशाल होने पर चातुर्मासमें कुल तीस दिन वर्षा होती है।
प्रश्नलग्नानुसार वर्षाका विचार—यदि प्रश्नलग्नके समयमें चौथे स्थानमें राहु और शनि हों तो उस वर्षमें घोर दुर्भिक्ष होता है तथा वर्षाका अभाव रहता है। यदि चौथे स्थानमें मंगल हो तो उस वर्षमें घोर दुर्भिक्ष होता है तथा वर्षाका अभाव रहता है। यदि चौथे स्थानमें मंगल हो तो उस वर्ष वर्षा साधारण ही होती है और फसल भी उत्तम नहीं होती। चौथे स्थानमें गुरु और शुक्रके रहने से वर्षा उत्तम होती है। चन्द्रमा चौथे स्थानमें हो तो श्रावण और भाद्रपदमें अच्छी वर्षा होती है; किन्तु कार्तिकामें वर्षाका अभाव और आश्विनमें कुल सात दिन वर्षा होती है। हर बहुत सेज चलाती है, जिससे फसल भी अच्छी नहीं हो पाती। यदि प्रश्नलग्नमें गुरु हो और एक या दो ग्रह उच्चके चतुर्थ, सप्तम, दशम भावमें स्थित हों तो वर्ष बहुत ही उत्तम होता है। समयानुसार यथेष्ट वर्षा होती है, गेहूँ, चना, धान, जौ, तिलहन, गन्ना आदि की फसल बहुत अच्छी रहती है। जूट का भाव ऊपर उठता है। तथा इसकी फसल भी बहुत अच्छी रहती है। व्यापारियोंके लिए वर्ष बहुत ही अच्छा रहता है। यदि प्रश्नलग्नमें कन्याराशि हो तो अच्छी वर्षा, पूर्वीय हवाके साथ होती है। वर्षमें कुल ९० दिन वर्षा होती है, फसल भी अच्छी होती है। मनुष्य और पशुओंको सुख-शान्ति मिलती है। केन्द्र स्थानोंमें शुभ ग्रह हों तो सुभिक्ष और वर्षा होती है। जिस दिशामें क्रूर ग्रह हों अथवा शनि देखें तो उस दिशामें अवश्य दुर्भिक्ष होता है। यदि वर्षाके सम्बन्धमें प्रश्न करनेवाला पाँचों अँगुलियोंको स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो अल्पवर्षा, फसलकी क्षति एवं अँगूठेका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा होती है। यदि वर्षाके प्रश्नकालमें पृच्छक सिरका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो आश्विनमें वर्षाभाव तथा अन्य महीनों में साधारण वर्षा; कनका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा, पर भाद्रपदमें कुल दस दिन वर्षा; आँखोंको मलता हुआ प्रश्न कर तो चातुर्मासके सिवा अन्य महीनोंमें वर्षाका अभाव तथा चातुर्मासमें भी कुल सत्ताईस दिन वर्षा; घुटनोंका स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो सामान्यतया सभी महीनोंमें वर्षा, फसल उत्तम जनताका