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भद्रबाहु संहिता
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देख |
शेष ॥
'डाक' कहथि जौ गहुँम अति, मँहग वर्ष दिन लेख || माघ सुदीके चौथमें, जौं लागे धन मँहगो होवे नारियल, रहे न पाना माघ- पञ्चमी चन्द्र तिथि, वहय जो उत्तर तो जानौ भरि भाद्रमें, जलबिन पृथ्वी माघ सुदी षष्ठी तिथि, यदि वर्षा न होय ।
वाय ।
जाय ॥
'डाक' कपास मँहगो मिले, राखें ता नहिं कांय ॥
अर्थ —— माघवदी सप्तमीके दिन आकाशमें बिजली चमके और बरसते हुए मेघ दिखलाई पड़ें तो अच्छी फसल होती है और वर्षा भी उत्तम होती है। बारह महीनोंमें ही वृष्टि होती रहती है, फसल उत्तम होती है । माघ सुदी प्रतिपदा के दिन आकाशमें बिजली चमके, बादल गर्जना करें तो तेल, घृत, गुड़ आदि पदार्थ महँगे होते हैं। इस दिनका मेघदर्शन वस्तुओंकी मँहगाई सूचित करता है । माघ कृष्ण अष्टमीको वर्षा हो तो सुभिक्ष सूचक है। मेघ स्निग्ध और सौम्य आकृतिके दिखलाई पड़ें तो जनताके लिए सुखदायी होते हैं। माघ वदी अष्टमी और पौष वदी दशमीको आकाशमें बादल हों तथा वर्षा भी हो तो श्रावण के महीनेमें अच्छी वर्षा होती है । माघ शुक्ला द्वितीयाको वर्षा और बिजली दिखलाई पड़े तो जी और गेहूँ अत्यन्त मँहगे होते हैं। व्यापारियोंको उक्त दोनों प्रकारके अनाजके संग्रहमें विशेष लाभ होता है । यद्यपि सभी प्रकार के अनाज महँगे होते हैं, फिर भी गेहूँ और जौ की तेजी विशेषरूपसे होती है। यदि माघ शुक्ला चतुर्थीके दिन आकाशमें बादल और बिजली दिखलाई पड़े तो नारियल विशेषरूपसे मँहगा होता है। यदि माघ शुक्ला पञ्चमीको वायुके साथ मेघोंका दर्शन होतो भाद्रपदमें जलके बिना भूमि रहती है । माघ शुक्ला षष्ठीको आकाश में केवल मेघ दिखलाई पड़ें और वर्षा न हो तो कपास महँगा होता है। माघ शुक्ला अष्टमी और नवमीको विचित्र वर्णके मेघ आकाशमें दिखलाई पड़ें और हल्की-सी वर्षा हो तो भाद्रपद मासमें खूब वर्षा होती है।
वर्षा ऋतुके मेघ स्निग्ध और सौम्य आकृतिके हों तो खूब वर्षा होती है। आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदाके दिन मेघ गर्जन हो तो पृथ्वी पर अकाल पड़ता है और युद्ध होते हैं। आषाढ़ कृष्णा एकादशीको आकाशमें वायु, मेघ और बिजली दिखलाई
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