________________
५१५
षष्ठोऽध्यायः
भावार्थ-यदि बादल सफेद हो, स्निग्ध हो, और घनरूप हो विचित्र हो साथमें बिजली भी चमकती हो तो समझो निरन्तर वर्षा होगी, इसमें कोई संशय नहीं करना चाहिये॥६॥
शकुनै: कारणैश्चापिसम्भवन्ति शुभैर्यदा।
तदा वर्ष च क्षेमं च सुभिक्षं च जयं भवेत्॥७॥ (यदा) जब बादल (शकुनै:) अच्छे शकुन के (कारणैः) कारण हो तो (शुभैः) शुभ का (संम्भवन्ति) सम्भव होगा, (तदा) तब (वर्ष) वर्षा होगी, (क्षेमं) क्षेम होगा (च) और (सुभिक्षं) सुभिक्ष होगा (जयं भवेत्) राजा की विजय होगी।
भावार्थ-जब बादल शुभ शकुन और अच्छे चिह्नो सहित हो तो शुभ होगा, वर्षा अच्छी होगी, क्षेम कुशल होगा, सुभिक्ष होगा, और राजा की युद्ध में विजय होगी, ऐसा समझना चाहिए॥७॥
पक्षिणां द्विपदानां च सदृशानि यदा भवेत्।
चतुष्पदानां सौम्यानां तदा विन्द्यान्महञ्जलम् ॥ ८॥ (यदा) जब बादल (पक्षिणां) पक्षियों के आकार वाले, (द्विपदानां) मनुष्यों के (सदृशानि) समान आकार वाले (भवेत्) होते है (च) और (चतुष्पदानां) चार पांव वाले के आकार (सौम्यानां) वो भी सौम्य हो तो (तदा) तब (विन्द्यान्) जानो (महञ्जलम्) महान वर्षा होगी।
भावार्थ——यदि बादल नाना प्रकार के मयूर, कबूतर, हंस आदि पक्षियों के आकार हो और मनुष्यों के आकार हों चार पाँव वाले पशुओं के आकार हों जैसे हाथी, घोड़ा, बैल, गाय, भैंस आदि के आकार के हो और वो भी सौम्य शांत हो तो समझो शुभ सूचक है, उस वर्ष महान जल करेगा॥८॥
यदाराज्ञः प्रयाणे तु यान्य भ्राणि शुभानि च।
अनुमार्गाणि स्निग्धानि तदाराज्ञो जयं वदेत् ।।९।। (यदा राज्ञप्रयाणे तु) जब राजा को प्रयाण के समय (यान्य) जो (भ्राणि) बादल (शुभानि) शुभ (च) और (स्निग्धानि) स्निग्ध होकर (अनुमाणि) आगे-आगे जावे (तदा) तो (राज्ञो) राजा की (जयं) जय (वदेत्) कहते हैं।