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पंचमोऽध्यायः |
पड़े तो सात दिनों तक लगातार जलकी वर्षा होती है। यदि दक्षिण दिशामें केवल बिजलीकी चमक ही दिखलाई पड़े तो धूप होनेकी सूचना अवगत करनी चाहिए। जब लाल और काले वर्णके मेध आकाशमें आच्छादित हों और बार-बार तेजी से बिजली चमकती हो तो, साधारणतया दिन भर धूप रहनेके पश्चात् रातमें वर्षा होती है। दक्षिण दिशासे पूर्वोत्तर गमन करती हुई बिजली चमके और उत्तर दिशामें इसका तेज प्रकाश भर जाय तो तीन दिनों तक लगातार जलकी वर्षा होती है। यहाँ इतना विशेष और है कि वर्षाके साथ ओले भी पड़ते हैं। यदि इस प्रकारकी बिजली शरद् ऋतुमें चमकती है तो निश्चयत: ओले ही पड़ते हैं, जलकी वर्षा नहीं होती। ग्रीष्म ऋतुमें उक्त प्रकारकी बिजली चमकती है तो वायुके साथ तेज धूप पड़ती है, वृष्टि नहीं होती। गोलाकार रूपमें दक्षिण दिशामें बिजली चमके तो आगामी ग्यारह दिनों तक जलकी अखण्ड वर्षा होती है। इस प्रकारकी बिजली अतिवृष्टिकी सूचना देती है। आषाढ़ बदी प्रतिपदाको दक्षिण दिशामें शब्द रहित बिजली चमके तो आगमी वर्षमें फसल निकृष्ट, उत्तर दिशामें शब्द रहित बिजली चमके तो फसल साधारण; पश्चिम दिशामें शब्दरहित बिजली चमके तो फसलके लिए मध्यम और पूर्व दिशामें शब्दरहित बिजली चमके तो बहुत अच्छी फसल उपजती है। यदि इन्हीं दिशाओं में शब्दसहित बिजली चमके तो क्रमश: आधी, तिहाई, साधारणत: पूर्व और सवाई फसल उत्पन्न होती है। यदि आषाढ़ बदी द्वितीया चतुर्थीसे विद्ध हो और उसमें दक्षिण दिशासे निकलती हुई बिजली उत्तरकी ओर जावे तथा इसकी चमक बहुत तेज हो तो घोर दुर्भिक्ष की सूचना मिलती है। वर्षा भी इस प्रकारकी बिजलीसे अवरुद्ध ही होती है। चट चटाहट करती हुई बिजली चमके तो वर्षाभाव एवं घोरोपद्रवकी सूचना देती है।
ऋतुओं के अनुसार विद्युत् निमित्त का फल-शिशिर-माघ और फाल्गुन मासमें नीले और पीले रंगकी बिजली चमके तथा आकाश श्वेतरंगका दिखलाई पड़े ओलोंके साथ जलवर्षा एवं कृषिके लिए हानि होती है। माघ कृष्ण प्रतिपदाको बिजली चमके तो गुड़, चीनी, मिश्री आदि वस्तुएँ महँगी होती हैं तथा कपड़ा, सूत, कपास, रूई आदि वस्तुएँ सस्ती और शेष वस्तुएँ सम रहती हैं। इस दिन बिजलीका कड़कना बीमारियोंकी सूचना भी देती है। माघ कृष्णा द्वितीया, षष्ठी और अष्टमीको पूर्व दिशामें बिजली दिखलाई पड़े तो आगामी वर्षमें अधिक व्यक्तियोंके