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प्रस्तावना
स्वरनिमित्त :- वेतन प्राणियों का वा अचेतन पदार्थों के अन्दर से होने वाले शब्द को सुनकर शुभाशुभ को जानना, स्वरनिमित्त है।
इस निमित्त ज्ञान में काक, उल्लू, गीदड़, चिड़ियाँ, कुत्ता, बिल्ली आदि के शब्दों पर ही विशेष शुभाशुभ जाना जाता हैं जैसे काक प्रात:काल में पूर्वाभिमुख होकर बोले तो शुभ है, मित्र व स्वजन को लाभ होता है, वही काक मन्ध्याह में सूखे वृक्ष पर बैठकर कठोर शब्द करे तो समझो युद्ध लड़ाई, झगड़ा मृत्यु का सूचक होता है। जैसे गीदड़ दिन में ग्रामाभिमुखी होकर बोले तो समझो अनिष्ट होगा, कुत्ता रोने लगे तो व्यक्ति की मृत्यु होती है, इत्यादि स्वरों निमित्त ज्ञान किया जाता है। भीमनिमित्त :-भौम अर्थात् भूमि, भूमिका रंग रूप, रस, गंध वर्ण, चिकनी, रूक्ष आदि देखकर शुभाशुभ का ज्ञान करना भौम निमित्त ज्ञान हैं। जैसे, गृह, मंदिर जलाशय, बावड़ी, कुंआ को बनवाने में प्रथम भूमि शुभ हैं या अशुभ हैं देखकर बनवाना । यदि मंदिर निर्माण करना हो तो जिस जमीन पर मंदिर बनवाना हैं उसका शुभाशुभ देखे, प्रथम शुभ भूमि के लिये आचार्यों ने लिखा है कि जो भूमि हरी घास से युक्त हो हरी भरी हो वह भूमि शुभ है उस भूमि में एक हाथ गड्ढा खोदे फिर उस गड्ढे में उसी मिट्टी को भर दे, अगर मिट्टी का गड्ढ़ा भर जाने के बाद भी शेष बची रहे तो समझो वह भूमि उत्तम है, अगर गड्ढ़ा पूरा का पूरा भर जाय और मिट्टी नहीं बचे तो समझो वह भूमि मध्यम हैं, गड्ढ़ा भरने के बाद अगर वह गड्ढ़ा पूरा नहीं भरे खाली रह जाय तो समझो वह भूमि निकृष्ट है, निकृष्ट भूमि पर कभी भी मंदिरादि का निर्माण नहीं कराना चाहिये।
___ घर बनाने के लिये भूमि का वर्ण देखना चाहिये, काली रंग की भूमि लाल वर्ण की भूमि, सफेद वर्ण की भूमि पीले वर्ण की भूमि गृह निर्माण में शुभ मानी जाती है जिस मिट्टी में घी के समान गंध हो, रक्त के समान गंध हो अन्न व मध्य के समान गंध निकलती है, उस भूमि को आचार्यों ने शुभ माना है।
दुर्गन्ध से युक्त अनिष्ट, अशुभ भूमि पर बनाया हुआ घर नाश का कारण बनता है, उस घर में उपद्रव ही होते हैं शान्ति नहीं रहती हैं। अनि के समान लाल वर्ण के भूमि पर घर बनाना अशुभ है इत्यादि।