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भद्रबाहु संहिता
भावार्थ---यदि चन्द्रमा के ऊपर काले व नीले रंग का परिवेष हो तो समझो निश्चय वर्षा होगी, यदि पीले रंग का हो तो व्याधि का प्रकोप होता है और भस्म के रंग का हो तो वर्षा का अभाव व दुर्वृष्टि हो है याने वर्षा का अभाव रहता है वायु तेज चलती है।।९।।
यदा तु सोममुदितं परिवेषो रूणद्धिहि ।
जीमूत वर्ण स्निग्धश्च महामेघस्तदा भवेत्॥१०॥ (यदा) जब (सोममुदित) उदय होता हुआ चन्द्रमा (परिवेषो) परिवेष (रूणद्धिहि) रूद्ध करता है (तु) तो फिर (जीमूत) मेघो का वर्ण (श्च) और (स्निग्ध) स्निग्ध हो तो (तदा) तब (महामेघः) महामेघोंका आगमन (भवेत्) होता है।
भावार्थ-यदि उगते हुऐ चन्द्रमाको परिवेष मेधों के वर्ण का हो या स्निग्ध हो तो समझो मेघों का आगमन होकर उत्तम वृष्टि होगी॥१०॥
अभ्युन्नतो यदा श्वेतो रूक्षः सन्ध्यानिशाकरः।
अचिरेणैव कालेन राष्ट्र चौरविलुप्यते॥११॥ (अभ्युन्नतो) उदय होता हुआ चन्द्रमा (यदा) जब (श्वेतो) सफेद (रूक्षः) और रूक्ष हो, अथवा (सन्ध्या) सन्ध्या के वर्ण का परिवेष युक्त (निशाकरः) चन्द्रमा हो तो (राष्ट्र) राष्ट्र को (अचिरेणैव) बहुत ही (कालेन) काल तक (चौरैर्विलुप्यते) चोरों के द्वारा उपद्रव किया जाता है।
भावार्थ- उदय होते हुऐ चन्द्रमा के ऊपर जब सफेद और रूक्ष अथवा सन्ध्या के वर्ण का परिवेष हो तो राष्ट्र को चोरो का उपद्रव होता है, उस राष्ट्र को चोरों का भय उत्पन्न होता है।। ११॥
चंद्रस्य परिवेषस्तु सर्वरात्रं यदा भवेत्।
शस्त्रं जनक्षयं चैव तस्मिन् देशे विनिर्दिशेत ।। १२॥ (चंद्रस्य) चन्द्र के ऊपर (परिवेषस्तु) परिवेष (यदा) जब (सर्वरात्रं) पूरी रात (भवेत्) होता है तो (तस्मिन्) उस (देशे) देश में (शस्त्र) शस्त्र (जनक्षयं) जन क्षय होगा (चैव) ऐसा ही (विनिर्दिशेत्) आचार्य ने निर्देशन किया है।