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भद्रबाहु संहिता
जा रहे थे तब एक द्वादशफणों वाला सर्प सामने फणों को ऊपर उठाकर खड़ा हो गया, इस शकुन को देखकर भद्रबाहु विचार करने लगे की यह सर्प बारहफणों वाला है, रास्ता रोक रहा है क्या कारण है? विचार करते हुए नगर की ओर बढ़ गये, नगर में प्रवेश करते ही एक घर में एक बच्चा पालने में झूल रहा था, वह बालक भद्रबाहु को लक्ष्य कर जोर से बोलने लगा कि जाओ जाओ यहाँ से जाओ, इस प्रकार पालने में झूलते हुए बालक के वचन सुनकर भद्रबाहु स्वामी आश्चर्य करने लगे, अपने निमित्त ज्ञान का उपयोग कर जान लिया कि अब इस प्रदेश में कोई उपद्रव होने वाला है, बिना आहार किये ही वापिस अंतराय समझकर आ गये, और समझ लिये कि अब उत्तर भारत में बारह वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ने वाला है क्योंकि बारह फणों वाला सर्प दिखा है उसका फल यही है, पालने में झूलता हुआ बालक संकेत दे रहा कि संयमीयों का संयम अब इस प्रदेश में पालन नहीं होगा, अन्यत्र चले जाओ। भद्रबाहु स्वामी ने चतुर्विध संघ को अपने समीप बुलाया, सारी घटना को कह सुनाया, शकुनों के फल को सुनाकर आदेश दिया कि अब इस प्रदेश को छोड़ कर दक्षिण भारत में सबको विहार करना है, इस प्रदेश में बारह वर्ष तक घोर अकाल पड़ेगा, साधुओं की चर्या यहाँ नहीं रह सकती है, न पल सकती है, इसलिये सभी साधुजनों को दक्षिण में चलना चाहिये, तब उज्जैन नगर के श्रावक धर्मात्मा भद्रबाहु स्वामी को हाथ जोड़कर विनय पूर्वक प्रार्थना करने लगे कि हे प्रभु हे भगवान हमारे पास आपकी दया से अटूट धन है, धान्य संग्रह भी बहुत है, बारह वर्ष क्या चौबीस वर्ष भी अकाल पड़े तो भी कोई कमी नहीं आने देंगे, सब व्यवस्था करेंगे, सब अच्छा होगा, आप दक्षिण पथ में नहीं जाइये, हम सब लोग अनाथ हो जायेंगे, हमें मार्ग कौन दिखायेगा, आप ऐसा नहीं करिये, उत्तर पथ मत छोड़ये हम सब व्यवस्था करने में समर्थ हैं हमारे पास कोई कमी नहीं है, इत्यादि अनेक प्रकार से विनय प्रार्थना करने पर भी भद्रबाहु स्वामी नहीं रुके तब उज्जैनी के श्रावकों ने बारह हजार साधुओं को भ्रम में डालकर रख लिया, इन बारह हजार साधुओं ने भद्रबाहु स्वामी की आज्ञा नहीं पाली और उज्जैनी के अन्दर ही रहने का विचार कर लिया, श्रावकों की बात में आ गये। इधर भद्रबाहु स्वामी बारह हजार साधुओं के संघ सहित होकर दक्षिण पथ के लिये शुभ मूहुर्त में बिहार कर गये, धीरे-धीरे नगरादिकों में बिहार करते हुये दक्षिण के नगरों में पहुँच गये उधर ही बारह वर्ष तक बिहार करने का विचार कर श्रावकों को उपदेश देते हुए बिहार करने लगे, इधर समय आने पर दुर्भिक्ष प्रारंभ हुआ, महान दुर्भिक्ष के कारण, लोगों का खाना